New Delhi: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार को निर्देश देते हुए कहा कि सुरहा ताल की सीमा से 1 किमी. के भीतर आने वाली जमीन के किसी हिस्से पर कोई निर्माण न करें।
बता दें कि अरूण कुमार त्यागी और अफरोज अहमद की पीठ ने जांइट कमिटी की रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद यह फैसला सुनाया। फैसले में पीठ ने कहा कि प्रशासनिक भवन, शैक्षणिक भवन, वाणिज्यिक भवन और 100 बिस्तरों वाला एससी/एसटी छात्रावास का निर्माण सुरहा ताल पक्षी विहार के 1 किमी. के क्षेत्र में किया जा रहा है।
डीएम को दिए अतिक्रमण हटाने के निर्देश
पीठ ने बलिया के डीएम और वन अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि ईको सेंसेटिव जोन क्षेत्र का सीमांकन कराकर अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही की जाए। साथ ही बर्ड सेंचुरी की जमीन पर उपयुक्त साइन बोर्ड लगाने का निर्देश भी दिया। एनजीटी ने कार्रवाई की रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है।
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इन प्रावधानों का किया उल्लंघन
एनजीटी ने कहा कि प्रथम दृष्टया बर्ड सेंचुरी में किया गया निर्माण वन्य जीव सरंक्षण अधिनियम 1972 और राष्ट्रीय आर्द्रभूमि नियम 2017 के प्रावधानों का उल्लंघन है। इसी को ध्यान में रखते हुए जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय के कुलसचिव को निर्देशित किया जाता कि वह सुरहा ताल बर्ड सेंचुरी की सीमा से 1 किमी. के भीतर आने वाली भूमि के किसी भी हिस्से पर कोई निर्माण न करें।
याचिका पर की सुनवाई
बता दें कि अधिवक्ता गौरव कुमार बंसल और धर्मेद्र कुमार सिंह ने विश्विद्यालय के विरूद्ध सुरहा बर्ड सेंचुरी के ईको सेंसेटिव जोन में निर्माण कार्य रोके जाने के संबंध में याचिका दायर की गई थी। इसी याचिका की सुनवाई करते हुए एनजीटी ने यह आदेश पारित किया है।
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