Milkipur Assembly By Election 2025: उत्तर प्रदेश की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव का ऐलान भारतीय चुनाव आयोग (EC) ने कर दिया है। जिसके बाद यूपी की सियासत गर्मा गई है। अयोध्या में आम चुनाव के दौरान बीजेपी की हार हुई थी। ऐसे में बीजेपी के लिए अब अयोध्या की ये विधानसभा सीट नाक का सवाल बन चुकी है। बीजेपी की रणनीति हर हाल में यहां से जीत दर्ज करने की रहेगी। वहीं, सपा नहीं चाहेगी कि यह सीट उसके हाथ से फिसले। ऐसे में दोनों दलों ने अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं। चुनाव आयोग ने इस सीट पर वोटिंग के लिए 5 फरवरी की तारीख मुकर्रर की है। वहीं, 8 फरवरी को नतीजों का ऐलान किया जाएगा।
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सूत्रों के मुताबिक बीजेपी की ओर से खुद योगी आदित्यनाथ ने इस सीट पर जीत के लिए पूरी जिम्मेदारी अपने हाथ में ले ली है। बीजेपी चाहेगी कि इस सीट पर सपा को शिकस्त देकर फैजाबाद में मिली हार का बदला लिया जा सके। सभी दलों की नजर इस सीट पर टिकी है। ऐसे में मिल्कीपुर हॉट सीट बन गई है। इससे पहले 2022 विधानसभा चुनाव में यहां से सपा के अवधेश प्रसाद ने जीत हासिल की थी। लेकिन फैजाबाद से सांसद बनने के बाद उन्होंने यह सीट खाली कर दी। बीजेपी ने अभी उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया है। जबकि सपा अक्टूबर 2024 में ही यहां से अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को टिकट दे चुकी है।
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मिल्कीपुर सीट को समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाता है। यहां 1991 के बाद BJP-BSP को दो-दो बार जीत मिली है। वहीं, सपा 6 बार जीत हासिल कर चुकी है। इस सीट पर जातीय समीकरणों की बात करें तो सबसे ज्यादा 60 हजार वोट ब्राह्मणों के हैं। यहां 55 हजार यादव, 30 हजार मुस्लिम, 55 हजार पासी, 50 हजार कोरी (चौरसिया, पाल, मौर्या), 25 हजार ठाकुर, 25 हजार दलित वोटर हैं। अखिलेश यादव चुनाव आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले उपचुनाव को फेयर बता चुके हैं। बीजेपी किसी भी सूरत में यहां से जीत हासिल करना चाहती है।
बीजेपी ने फील्ड में उतारे 6 मंत्री
सूत्रों के मुताबिक मिल्कीपुर सीट पर अपने छह कद्दावर मंत्रियों की जिम्मेदारी सीएम योगी आदित्यनाथ लगा चुके हैं। इनमें जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, प्रभारी मंत्री सूर्य प्रताप शाही, आयुष एवं औषधि प्रशासन राज्य मंत्री डॉ. दयाशंकर सिंह दयालु, सहकारिता राज्य मंत्री जेपीएस राठौर, सतीश शर्मा और राज्य मंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह शामिल हैं। बीजेपी अगर यहां से जीत दर्ज करेगी तो इसका असर देशव्यापी होगा। बीजेपी हिंदुत्व की राजनीति करती है, जीत से उसका नेरेटिव मजबूत होगा। जबकि सपा के जीतने पर PDA फॉर्मूले को बल मिलेगा। जीत का असर 2027 चुनाव का मूड भी तय करेगा।