Samajwadi Party VS Rashtriya Lok Dal Latest Update (मानस श्रीवास्तव, लखनऊ): उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी औऱ राष्ट्रीय लोकदल का गठबंधन टूटना लगभग तय हो गया है। सीटों पर फंसे पेंच को भी सुलझा लिया गया है और अगले 2 दिन में राष्ट्रीय लोकदल NDA का हिस्सा बन जाएगा। नये गठबंधन का औपचारिक ऐलान 2 दिन के अंदर होगा। माना जा रहा है कि RLD के मुखिया जयंत चौधरी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा प्रेस कॉन्फ्रेंस करके गठबंधन का ऐलान करेंगे।
यह भी पढ़ें: I.N.D.I Alliance के लिए बड़ा सवाल, उत्तर प्रदेश में सपा और कांग्रेस के बीच जारी है प्रेशर पालिटिक्स का गेम
ऐसे सुलझा पेंच– राज्यसभा की सीट देगी भाजपा
दरअसल, राष्ट्रीय लोकदल पार्टी भाजपा से 5 लोकसभा सीटों की डिमांड कर रही है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने रालोद को 4 सीटें मथुरा, बागपत, अमरोहा औऱ कैराना ऑफर की थी। राष्ट्रीय लोकदल पार्टी मुज्जफरनगर की सीट भी मांग रही है, जिसे देने से भाजपा ने इनकार कर दिया था। इसी सीट का पेंच फंस हुआ था। मुज्जफरनगर सीट से संजीव बालियान भाजपा के सांसद हैं, जो वर्तमान केंद्र सरकार में राज्य मंत्री भी हैं। ऐसे में इस सीट पर भाजपा ने समझौता करने से साफ मना कर दिया था। वहीं अब भाजपा उत्तर प्रदेश से अपने कोटे में से एक राज्यसभा सीट राष्ट्रीय लोकदल पार्टी को देने के लिए राजी हो गई है, लेकिन लोकसभा की एक सीट कम कर दी।
RLD को अब मिलेंगी 3 लोकसभा एक राज्यसभा सीट
जंयत चौधरी की भाजपा हाईकमान से बातचीत के बाद जो नया फॉर्मूला तय हुआ है, उसके तहत भाजपा अब उत्तर प्रदेश में लोकदल को 3 लोकसभा सीटें देगी। इसके अलावा प्रदेश में 10 राज्यसभा सीटें रिक्त हुई हैं, जिनमें से 7 सीटों पर भाजपा की जीत तय है। ऐसे मे भाजपा अब अपनी पार्टी से 6 उम्मीदवार राज्यसभा भेजेगी औऱ एक राज्यसभा सीट समझौते के तहत राष्ट्रीय लोकदल के खाते में जाएगी। हालांकि राष्ट्रीय लोकदल पार्टी अभी भी भाजपा से लोकसभा की 4 सीटें मांग रही है, लेकिन भाजपा 3 सीटें देने पर अड़ी है।
यह भी पढ़ें: अयोध्या में खुलेगा KFC रेस्टोरेंट!, सरकार ने क्या रखी शर्त
सपा औऱ INDIA खेमे को झटका, NDA को बढ़त
राष्ट्रीय लोकदल पार्टी के पास उत्तर प्रदेश में बेशक एक भी सांसद न हो, लेकिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उसका बड़ा जनाधार है। ऐसे में भाजपा जाट वोटों की जुगत में राष्ट्रीय लोकदल पार्टी के जरिये बड़ी कामयाबी हासिल कर सकती है। जंयत चौधरी का NDA में जाना समाजवादी पार्टी और इंडिया गठबंधन के लिए बड़ा झटका साबित होगा। इसकी बड़ी वजह यह है कि मुज्जफरनगर दंगों के बाद से जाट समुदाय का बड़ा हिस्सा समाजवादी पार्टी से नाराज है, वह या तो भाजपा के साथ जाता है या फिर राष्ट्रीय लोकदल के साथ। ऐसे मे जंयत चौधरी के जाने से भाजपा को तो बढ़त मिलेगी, लेकिन सपा को बड़ा नुकसान होगा।