Naini Lake Water Making People Sick: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नैनीताल की नैनी झील के गंदे पानी के कारण स्थानीय लोगों के बीमार होने की खबरों के बीच स्वतः संज्ञान लिया है। कोर्ट ने राज्य के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से परामर्श करने और समस्या के समाधान करने को कहा है।
मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस रितु बाहरी और जस्टिस आलोक कुमार शर्मा की पीठ ने कहा कि प्रदूषण बोर्ड पेयजल निगम से परामर्श कर यह कारण खोजेंगे कि नैनीताल झील का पानी इतना गंदा क्यों है? यह बच्चों और बड़ों में किडनी जैसी समस्याएं पैदा कर रहा हैं। इस सबंध में कोर्ट ने एडवोकेट प्रदीप लोहानी को एमिक्स क्यूरी नियुक्त किया है जो नैनीताल झील के गंदे पानी के कारण होने वाली समस्या के निराकरण में न्यायालय की सहायता करेंगे।
कोर्ट ने दिया ये आदेश
बता दें कि जज रितु बाहरी और आलोक कुमारी वर्मा की डबल बेंच एक होटल की याचिका की सुनवाई कर रही थी। जिसे एनजीटी ने पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने पर मुआवजे के तौर पर 1.82 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था। अपीलकर्ता ने कहा कि होटल का सीवरेज पानी झील में नहीं बल्कि नगरपालिका की सीवरेज पाइप लाइन में जा रहा है। अब इस मामले की अगली सुनवाई दिसंबर में होगी। लेकिन कोर्ट ने होटल व्यवसायियों को अदालत की रजिस्ट्री को निर्धारित मूल जुर्माने का 10 प्रतिशत भुगतान करने का निर्देश दिया है।
ये भी पढ़ेंः परमाणु पनडुब्बी,फाइटर जेट इंजन… फ्रांस ने भारत को दिया ऑफर, चीन-पाकिस्तान को लगी मिर्ची
पीने के पानी मुख्य सोर्स है नैनी झील
बता दें कि उत्तराखंड के पर्यटन उद्योग का रीढ़ की हड्डी कही जाने वाली नैनीताल की नैनी झील इन दिनों सरकार और स्थानीय प्रशासन के कुप्रबंधन का शिकार हो रही है। नैनीताल की नैनी झील वहां के लोगों के लिए पीने के पानी का मुख्य स्त्रोत है। यह लोगों को पीने का पानी उपलब्ध कराता है। इसके अलावा झील के पानी का इस्तेमाल सिंचाई के तौर पर भी होता है।
ये भी पढ़ेंः क्या दिल्ली की तरह कश्मीर में भी होगा सरकार और LG के बीच घमासान? इन वजहों से उठ रहे सवाल