मरने वाले व्यक्ति के शव का मांस खाता था, खोपड़ी का उबालकर सूप बनाता और फिर उसे पीता था। वह खुद का राजा कोलंदर कहता था। इस मामले में लखनऊ एडीजे कोर्ट ने नरभक्षी राम निरंजन उर्फ राजा कोलंदर और उसके साथी बच्छराज कोल को उम्रकैद की सजा सुनाई है। साथ ही अदालत ने दोनों पर ढाई-ढाई लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
साल 2000 में राजा कोलंदर और बच्छराज कोल ने 22 साल के मनोज सिंह और उनके ड्राइवर रवि श्रीवास्तव को किडनैप किया और फिर दोनों की हत्या कर दी थी। इसी मामले में कोर्ट ने 19 मई को कोलंदर और बच्छराज को दोषी करार दिया और शुक्रवार को उम्रकैद की सजा सुनाई। इससे पहले पत्रकार धीरेंद्र सिंह की हत्या के मामले में साल 2012 में इलाहाबाद कोर्ट ने दोनों दोषियों को आजीवन कारावास की सजा का फैसला सुनाया था।
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राम निरंजन कैसे बना नरभक्षी?
राजा कोलंदर पर 14 से ज्यादा हत्या के केस दर्ज हैं। वह लोगों की हत्या करके उसके शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर देता था। फिर वह मरने वाले की खोपड़ी से भेजा निकाल कर उसे उबाल कर सूप बनाकर पीता था। ऐसे व्यक्ति को नरभक्षी कहा जाता है। राजा कोलंदर प्रयागराज के नैनी के शंकरगढ़ स्थित हिनौता गांव का रहने वाला है।
जानें किस मामले में राजा कोलंदर को मिली सजा?
राजा कोलंदर ने 23 जनवरी 1999 को 1400 रुपये में लखनऊ के नाका हिंडोला से प्रयागराज जाने के लिए पत्रकार मनोज सिंह की टाटा सूमो बुक की। ड्राइवर रवि श्रीवास्तव के साथ मनोज सिंह भी गया था। वह दोनों को सीधे बरगढ़ जंगल ले गया, जहां मनोज सिंह और रवि श्रीवास्तव को मार डाला। मनोज के परिजनों ने लखनऊ के नाका हिंडोला थाने में दोनों की गुमशुदगी दर्ज कराई। उसके बाद दोनों के शव जंगल से बरामद हुए। दोनों की बॉडी नग्न अवस्था में मिली।
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