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अयोध्या के श्रीरामलला ने बढ़ाई उत्तराखंड की सांस्कृतिक प्रतिष्ठा, ऐपण कला शुभवस्त्रम से हुए सुसज्जित

Ayodhya Sri Ramlala Enhanced Uttarakhand Cultural Prestige: सोमवार को अयोध्या में विराजमान प्रभु श्रीरामलला का दिव्य विग्रह उत्तराखंड के विश्वविख्यात ऐपण कला से सुसज्जित शुभवस्त्रम में सुशोभित हुए। प्रभु श्रीरामलाल का यह शुभवस्त्रम न केवल उत्तराखंड की पारंपरिक कला और समर्पण का प्रतीक था।

Edited By : Pooja Mishra | Updated: Sep 24, 2024 11:51
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Ayodhya Sri Ramlala Enhanced Uttarakhand Cultural Prestige

Ayodhya Sri Ramlala Enhanced Uttarakhand Cultural Prestige: भारत की देवभूमि कही जाने वाली उत्तराखंड के नागरिकों के लिए सोमवार का दिन बहुत ही गौरव का दिन था। क्योंकि सोमवार को अयोध्या में विराजमान प्रभु श्रीरामलला का दिव्य विग्रह उत्तराखंड के विश्वविख्यात ऐपण कला से सुसज्जित शुभवस्त्रम में सुशोभित हुए। प्रभु श्रीरामलाल का यह शुभवस्त्रम न केवल उत्तराखंड की पारंपरिक कला और समर्पण का प्रतीक था। बल्कि इसने राष्ट्रीय पटल पर उत्तराखंड की सांस्कृतिक समृद्धि का एक नया गौरवशाली अध्याय जोड़ा है। इससे उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक और पारंपरिक कलाओं को एक नई पहचान तो मिली ही है, साथ ही भविष्य की पीढ़ियां भी इससे प्रेरित होकर जुड़ रही हैं।

सीएम धामी की प्रेरणा से हुआ तैयार

इन शुभवस्त्रों को उत्तराखंड के कुशल शिल्पकारों ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की प्रेरणा से तैयार किया है। वहीं सीएम पुष्कर सिंह धामी ने खुद इसे अयोध्या पहुंचाकर श्रीराम मंदिर में भेंट किया। यह शुभवस्त्रम् में न केवल प्रदेश की ऐपण कला नजर आती है बल्कि इसमें निहित भक्ति और श्रम साधकों की अद्वितीय शिल्पकला का अद्भुत समन्वय भी है, जिसने उत्तराखंड की सांस्कृतिक छवि को और अधिक प्रखर बना दिया।

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सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ने की कोशिश

मुख्यमंत्री धामी के गतिशील नेतृत्व में प्रदेश की लोक कला, संगीत, नृत्य और शिल्पों के संवर्धन की दिशा में भी अनेक ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री धामी न केवल राज्य के स्थानीय हस्तशिल्प और कारीगरों को प्रोत्साहित कर रहे हैं, बल्कि राज्य के युवाओं को भी अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ने और इसे संजोने की प्रेरणा दे रहे हैं।

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उत्तराखंड की पारंपरिक कला और संस्कृति की गूंज

सीएम धामी के प्रयासों का ही प्रतिफल है कि उत्तराखंड की पारंपरिक कला और संस्कृति की गूंज अब अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भी सुनाई देने लगी है। विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय आयोजनों में उत्तराखंड की लोक कलाओं को प्रमुखता से प्रस्तुत किया जा रहा है, जिससे राज्य को वैश्विक पहचान और सम्मान मिल रहा है। धामी का मानना है कि प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहरों का संरक्षण और संवर्धन आधुनिक संसाधनों और तकनीकों के साथ होना चाहिए ताकि यह अमूल्य विरासत आने वाली पीढ़ियों तक सुरक्षित रहे।

युवाओं को दी जा रही पारंपरिक कलाओं की ट्रेनिंग

मुख्यमंत्री धामी का यह दृढ़ विश्वास है कि राज्य का समग्र विकास तभी संभव है जब उसकी सांस्कृतिक जड़ें मजबूत हों। इसलिए, उनके नेतृत्व में युवाओं को डिजिटल माध्यमों और सोशल मीडिया के ज़रिए संस्कृति से जोड़ा जा रहा है। सांस्कृतिक संस्थानों और कला संगठनों के सहयोग से युवाओं को पारंपरिक कलाओं में प्रशिक्षित किया जा रहा है, जिससे वे अपनी संस्कृति पर गर्व करें और इसे और आगे बढ़ा सकें।

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Written By

Pooja Mishra

First published on: Sep 24, 2024 11:35 AM

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