Ayodhya Ram Mandir Inauguration: उत्तर प्रदेश के अयोध्या में इन दिनों रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर जोर-शोर से तैयारियां चल रही हैं। 22 जनवरी 2024 को राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव होगा। इसके लिए ‘हर घर अक्षत वितरण’ कार्यक्रम शुरू हो गया है। इसकी शुरुआत इंदिरापुरम के शनि-हनुमान मंदिर से की गई है। यह कार्यक्रम मकर संक्रांति तक देशभर में चलेगा। इस अभियान का उद्देश्य 22 जनवरी को देशभर की जनता के हाथों मोहल्ले के मंदिरों में प्राण प्रतिष्ठा का जश्न मनवाना है।
गाजियाबाद के रहने वाले चंपत राय और अनुज संजय बंसल ने अपने पूरे परिवार के साथ ‘हर घर अक्षत वितरण’ अभियान में हिस्सा लिया। संजय बंसल ने परिवार के साथ-साथ अपने पड़ोसियों के घर जाकर खूब ‘अक्षत वितरण’ किया। साथ ही उन्होंने लोगों से निवेदन किया कि वह इस उत्सव को इतना भव्य बनाएं कि भारत ही नहीं, विश्व पटल पर भारतीय सनातन संस्कृति का उत्सव पूरी दुनिया देख सके।
मोहल्लों के मंदिरों में उत्सव मनाएं
उन्होंने कहा कि यह हमारी सनातन प्रतिष्ठा की पुनर्स्थापना का अवसर है, इसलिए सभी वर्ग के लोग इन पूजित अक्षतों के माध्यम से इस अवसर का साक्षी बनने के लिए आमंत्रित हैं। यूं तो देश में इस अभियान की शुरुआत श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय और आरएसएस यूपी के पूर्वी क्षेत्र के संपर्क प्रमुख मनोज द्वारा की गई है, लेकिन चंपत राय ने लोगों से प्राण प्रतिष्ठा के दिन अपने-अपने मोहल्लों के मंदिरों में उत्सव मनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि देशभर में मकर संक्रांति तक अक्षत वितरित किए जाएंगे। इसके लिए प्रतिनिधियों को पूजित अक्षत सौंपे जा चुके हैं।
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चंपत राय हो चुके गिरफ्तार
चंपत राय ने अपना पूरा जीवन एक मौन योद्धा की तरह बिताया। 1975 में इंदिरा गांधी द्वारा जबरन थोपे गए आपातकाल के समय बिजनौर के धामपुर स्थित आर एस एम डिग्री कॉलेज में एक युवा प्रोफेसर चंपत राय, बच्चों को फिजिक्स पढ़ा रहे थे। तभी उन्हें गिरफ्तार करने के लिए पुलिस पहुंची, क्योंकि वे संघ से जुड़े थे। अपने छात्रों के बीच बेहद लोकप्रिय चंपत राय जानते थे कि उनके वहां गिरफ्तार होने पर क्या हो सकता है।
चंपत राय की लंबी जेल यात्रा
पुलिस को भी अनुमान था कि छात्रों विरोध कर सकते हैं। इसलिए प्रोफेसर चंपत राय ने पुलिस अधिकारियों से कहा कि आप जाइये, मैं बच्चों की क्लास खत्म करके थाने आ जाऊंगा। पुलिस वाले इस व्यक्ति के शब्दों के वजन को जानते थे, इसलिए वे लौट गए। क्लास खत्म करके बच्चों को शांति से घर जाने के लिए कह कर प्रोफेसर चंपत राय घर पहुंचे। माता पिता के चरण छू आशीर्वाद लिया और लंबी जेल यात्रा के लिए थाने पहुंच गए। चंपत राय ने पूरा जीवन प्रचारक के तौर पर बिता दिया। उनके परिवार में उनके छोटे भाई संजय बंसल भी RSS के सक्रिय कार्यरत हैं।