Jaipur: धन्नी देवी ग्राम पंचायत दयालपुरा में वर्ष 2004 से साथिन के पद पर कार्यरत हैं। राजस्थान के पाली जिले के रहने वाली हैं। धन्नी देवी खूब पढ़ना चाहती थीं। पर उनकी शादी कम उम्र में कर दी गई। उनकी पढ़ाई बीच में ही छूट गई और आगे पढ़ने का उनका सपना भी टूट गया। धन्नी देवी का जीवन घर परिवार के बीच उलझ कर रह गया और अपने अधूरे सपने को वे भी भूल सी ही गईं। इसी बीच उन्हें साथिन का पद मिला। काम करते-करते फिर से सपने को पूरा करने की एक आस मन में जगी। जैसे कायनात ने उनकी इच्छा सुन ली थी। सरकार ने शिक्षा सेतु योजना शुरू की। धन्नी देवी को पता चला। उन्हें तो लगा जैसे अंधे को आंख मिल गई।
परिवार में हुआ विरोध
उन्होंने अपने परिवार में जब अपनी पढ़ाई की बात की तो बहुत विरोध हुआ। पति और अन्य सदस्यों ने उन्हें पीछे खींचने की कोशिश की। कहा – यह कोई उम्र है पढ़ने की, इस उम्र में पढ़ कर क्या करेगी। यह तो बच्चों के पढ़ने लिखने की उम्र है। धन्नी देवी बताती हैं – मुझे भी डर लग रहा था इतने दिनों बाद पढ़ाई करूंगी।
अगर सफल नहीं हुई तो फिर सोचा अगर इस उम्र में पढ़कर मैं दसवीं पास कर लेती हूं तो गांव की कई लड़कियों और महिलाओं के लिए प्रेरणा बन जाऊंगी। यही सोचकर धन्नी देवी ने अपने मन को पक्का कर लिया। उन्होंने वर्ष 2018 में दसवीं कक्षा के लिए अपना नामांकन करा लिया। उन्होंने स्टेट ओपन के माध्यम से दसवीं की परीक्षा दी और पास हुई।
धन्नी देवी ने उत्तीर्ण की बारहवीं की परीक्षा
धन्नी देवी की इस सफलता ने गांव की अन्य महिलाओं को भी प्रेरित किया। वे लड़कियां जो स्कूल छोड़ चुकी थीं उन्हें भी लगा कि जब धन्नी देवी इस उम्र में परीक्षा देकर पास हो सकती हैं तो वे क्यों नहीं। वे भी अब आगे बढ़ने के लिए अपना मन बनाने लगीं। कई लड़कियों ने आवेदन किया। इस बीच धन्नी देवी ने 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण कर लीं।
महिलाओं के लिए बनीं प्रेरणा स्रोत
इसके बाद धन्नी देवी के गांव की ऐसी कामकाजी महिलाएं भी प्रेरित हुईं जिनकी पढ़ाई किसी न किसी वजह से छूट गई थी। उन्होंने भी शिक्षा सेतु योजना के अंतर्गत आवेदन किया और पढ़ना शुरू किया। धन्नी देवी कहती हैं कि मुझे बहुत खुशी है कि मैं अपने गांव की महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी। मैं मुख्यमंत्री और महिला अधिकारिता विभाग का धन्यवाद ज्ञापित करती हूं जो महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए विभिन्न स्तर पर प्रयास कर रहे हैं।