Jaipur News: राइट टू हेल्थ बिल के विरोध के बीच प्रदेश की गहलोत सरकार ने मेडिकल काॅलेजों के लिए जूनियर रेजिडेंट्स के अस्थायी रूप से 1 हजार पद स्वीकृत किए है। सरकार ने आज ही सभी काॅलेजों के प्राचार्यों को आज ही इंटरव्यू लेने के निर्देश दिए है।
जारी किया ये आदेश
इन रेजिडेंट्स डाॅक्टरों की नियुक्ति 6 महीने के लिए की जा रही है। इसको लेकर चिकित्सा विभाग ने सरकारी अस्पतालों के चिकित्सकों को लेकर एक आदेश जारी किया है। आदेश के अनुसार राज्य में वर्तमान में निजी चिकित्सालयों का संचालन बंद होने के कारण मरीजों को अत्यधिक असुविधा का सामना करना पड़ रहा है।
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यह भी देखने में आया है कि राजकीय चिकित्सालयों में भी चिकित्सा सेवाएं बाधित हो रही हैं।अवकाश स्वीकृत कराये बिना कर्तव्य से अनुपस्थिति को स्वेच्छा से अनुपस्थिति मानते हुए अनुशासनात्मक कार्रवाई अमल में लायी जायेगी।
सभी विभागाध्यक्षों को निर्देशित किया जाता है कि रेजिडेन्ट चिकित्सकों द्वारा किसी भी प्रकार की कर्तव्य के प्रति लापरवाही राजकीय सम्पत्ति को नुकसानए मरीजों एवं परिजनों से दुर्व्यवहार किये जाने पर उनका पंजीयन रद्द करने की कार्रवाई प्रारंभ करें। राज्य सरकार के नियमित कार्मिकों के कार्य बहिष्कार करने पर उनके विरूद्ध नियमानुसार अनुशासनात्मक कार्रवाई प्रारम्भ करें। उक्त आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होंगे।
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चिकित्सक स्वंय को कानून से ऊपर न समझें
इस बीच स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा ने कहा कि चिकित्सकों को कोई अधिकार नहीं है कि वह बिल को वापस लेने की मांग करें। उन्होंने कहा कि अस्पतालों में चिकित्सक अभी भी काम कर हैं। यदि वे कामकाज बंद करते हैं तो फिर सरकार भी सख्ती करेगी।
आंदोलनरत डाॅक्टर अपने आपको कानून से ऊपर न समझें। कानून लाने से पहले सभी चिकित्सकों से बातचीत की गई थीए उनकी हर बात को कानून में शामिल किया गया है। लेकिन अब चिकित्सक वादाखिलाफी कर रहे हैं जो बर्दाश्त से बाहर है।