Rajasthan Govt Rs 185 Crores Scooters Become Junk: राजस्थान विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा की तरफ से वादा किया गया था कि राज्य की होनहार छात्राओं को सरकार की तरफ से फ्री में स्कूटी दी जाएगी। चुनाव जीतने के बाद राज्य भजनलाल सरकार ने छात्राओं को देने के लिए 185 करोड़ रुपये की स्कूटियां खरीदी भी लीं। लेकिन अभी तक ये स्कूटियों की चाबी छात्राओं के हाथों में नहीं दी गई। खरीदी के बाद से 185 करोड़ रुपये की स्कूटियां खड़ी-खड़ी कबाड़ बन रही हैं। ये 29,000 स्कूटियां अब तक छात्राओं को बांटे जाने का इंतजार कर रही हैं। इन स्कूटियों को कबाड़ बनाने के लिए सरकारी अधिकारियों ने 200 करोड़ रुपये की तैयारी कर ली है, जिसको लेकर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप भी तेज हो गए हैं।
कबाड़ बनकर खड़ी ये स्कूटियां ये बताने के लिए काफी हैं कि राजस्थान में सरकारी सिस्टम किस तरह अच्छी योजनाओं और उसके लिए जारी बजट को बर्बाद करता है।
आरोप और प्रत्यारोप का खेल
दरअसल, राजस्थान सरकार ने कालीबाई भील और देवनारायण योजना के तहत प्रतिभावान छात्राओं को देने के लिए स्कूटी खरीदी थी। इनमें से करीब 185 करोड़ रुपये की स्कूटी न बंटने की वजह से कबाड़ बन रही है। लेकिन इन स्कूटी को छात्राओं में बांटने की जेहमत न तो किसी मंत्री ने उठाई और न ही स्थानीय जनप्रतिनिधि ने। नतीजा यह है कि ये स्कूटियां कबाड़ बन गई हैं। सरकार ने करोड़ों रुपये खर्च करके बेटियों के लिए स्कूटी तो खरीद ली, लेकिन उन्हें इसकी चाबी नहीं दी। इस गंभीर विषय पर सवाल पूछे जाने पर जवाब देने के बजाय पक्ष और विपक्ष दोनों ही एक-दूसरे पर आरोप और प्रत्यारोप करने लगते हैं।
विपक्ष का राज्य सरकार पर आरोप
इस मामले पर नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि यह समस्या इस सरकार के आने के बाद लगातार आ रही है। कांग्रेस सरकार लगातार स्कूटी बांटने का काम कर रही थी। कुछ जगहों पर आगे-पीछे रिजल्ट आया, लेकिन हमने समय पर लगातार स्कूटी बांटने का काम किया। इस सरकार के अंदर अखबारों में खबरों के आने के बाद भी वितरण का काम नहीं हो रहा है। 6 महीने पहले मैंने खुद भी सरकार के दो विभागों को इस बारे में बताया था। स्कूल में स्कूटी खड़ी है, लेकिन सरकार बांटना नहीं चाहती है। यह गंभीर विषय है जो बताता है कि सरकार का महिलाओं और बच्चों की शिक्षा के प्रति क्या रुख है?
शिक्षा मंत्री की सफाई
इस मामले पर डिप्टी सीएम और उच्च शिक्षा मंत्री प्रेम चंद बैरवा ने कहा कि पिछले 4 सालों में पूर्ववर्ती सरकार को ये स्कूटीयां देनी चाहिए थीं, लेकिन उन्होंने नहीं दीं। अब हम इसे देने का काम कर रहे हैं। हालांकि इसमें कुछ वेंडरों की भी गलतियां हैं। उन्होंने समय पर स्कूटी देने का काम नहीं किया, लेकिन पिछली सरकार की गलतियां ज्यादा हैं। हमने वेंडरों पर जुर्माना भी लगाया है। अब नई स्कूटी भी ले रहे हैं।
यह भी पढ़ें: इंदौर में सब इंस्पेक्टर की पिटाई पर सियासत तेज; कांग्रेस ने उठाया कानून व्यवस्था पर सवाल
क्या बोले गृह राज्य मंत्री?
वहीं गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढम ने कहा कि हमने 1 महीने पहले भी बच्चियों को स्कूटी बांटने का काम किया है। बात चाहे देवनारायण योजना हो या कालीबाई भील योजना, हम दोनों योजनाओं के तहत छात्राओं को स्कूटियां बांट रहे हैं। साथ ही इसके लिए क्रमबद्ध तरीके से और सकारात्मक रूप से उनके वितरण का काम कर रहे हैं।
क्या कहते हैं आंकड़ें?
अगर आंकड़ों की बात करें तो शिक्षण सत्र 2021-22 के बीच 11 हजार स्कूटी खरीदी गई, जिसमें से 1089 स्कूटी आज तक बांटी नहीं गई हैं। इसी तरह शैक्षणिक सत्र 2022-23 में 28 हजार स्कूटी खरीदी गई, जिसमें से 12 हजार से ज्यादा स्कूटी आज तक नहीं बांटी गई। सरकार ने 2023-24 में भी 23 हजार स्कूटी खरीदी, जिसमें से अब तक सिर्फ 7 हजार स्कूटी छात्राओं को दी गई। इसका मतलब करीब 185 करोड़ रुपये की स्कूटी छात्राओं को बांटे जाने का इंतजार कर रही हैं।