(केजे श्रीवत्सन)
Rajasthan CM Bhajanlal Targets on Ashok Gehlot: राजस्थान में कांग्रेस और बीजेपी के बीच में इन दिनों ‘सर्कस’ शब्द को लेकर आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है। दरअसल, पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने भजनलाल सरकार को लेकर कहा कि ये ‘सर्कस की तरह उछलकूद कर रहे है। अशोक गहलोत के इस बयान पर खुद राज्य के मुख्यमंत्री भजनलाल ने पलटवार किया है। सीएम भजनलाल ने कहा कि सर्कस तो गहलोत सरकार में होता था जब होटलों से सरकार चलाई जाती थी और दिल्ली में कांग्रेस नेताओं को डोलते देखा जाता था। ऐसे में उन्हें सच्चाई से परे कोई बयान नहीं देना चाहिए।
‘राजस्थान में सरकार नहीं सर्कस’
दरअसल, भजनलाल सरकार के सत्ता में आये करीब 10 महीने का वक़्त पूरा होने को है, लेकिन सरकार के कामकाज को लेकर प्रतिपक्ष कांग्रेस ने सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं। कांग्रेस का आरोप है की इन 10 महीनों में सरकार ने एक भी योजनाओं की नींव तक नहीं रखी। पर्ची से बने सीएम भजनलाल सारे फैसले के लिए दिल्ली के निर्देशों का इंतजार कर रहे हैं। मंत्रियों के पास ट्रांसफर तो दूर अपने विभाग से जुडी योजनाओं की समीक्षा तक का अधिकार नहीं है। ऐसे में जनता सरकार के कामकाज के तरीके को लेकर बेहाल-परेशान है। गहलोत ने तो यहां तक कह दिया की इन 10 महीनों में वादें के मुताबिक न तो कोई भर्ती परीक्षा करवाई गई और ना ही किसी को कोई नौकरी दी गई। आरोप तो यह तक भी है की भाजपा ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में बेरोजगारों को पहले साल सवा लाख नौकरियां देने का वादा किया था लेकिन एक भी बड़ी भर्ती परीक्षा तक नहीं करवाई गई। जिन लोगों को नियुक्ति पत्र बांटे जा रहे हैं वे सभी पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में लायी गई भर्ती योजनाओं में सिलेक्ट हुए हैं।
सरकार को ‘फीडबेक’ लेना चाहिए
पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने इन्ही मुद्दों को आधार बनाते हुए तंज कसते हुए कहा कि मैंने दुर्भावना से यह शब्द नहीं बोला है क्योंकि, जनता फैसला करती है की किसके वक्त क्या काम हुआ। उन्होंने तो इस शब्द के जरिये अपनी भावना बताई है की भाजपा सरकार कैसे चल रही है। काम की बजाय जयपुर से दिल्ली तक केवल दौरे हो रहे हैं। जनता के बीच पहला इम्प्रेशन ठीक नहीं है, जबकि हमारे स्कीमों की चर्चा हो रही है। भजनलाल से कहना चाहूंगा कि वे अपनी सरकार के कामकाज पर सर्वे करवा लें की जनता क्या कह रही है उन्हें लेकर अभी इस सरकार को ज्यादा समय नहीं हुआ है। लोगों को पेंशन नहीं मिल रही है, डेंगू बढ़ रहा है। हमारी स्कीम को बंद किया जा रहा है। गरीबों को राशन का किट बंद कर दिया गया है. मैंने दुर्भावना से यह बयान नहीं दिया है। 5 साल उनकी सरकार अच्छे से चले। गहलोत ने यह भी कह दिया की अगर विपक्ष बोल रहा है तो सरकार को ‘फीडबेक’ लेना चाहिए।
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अशोक गहलोत पर सीएम भजनलाल का वार
उधर, जब लगातार कांग्रेस नेताओं की तरफ से लगातार इसी शब्द को लेकर आरोप लगाए जाने शुरू हो गये तो बीजेपी के मंत्री और तमाम नेताओं ने भी इस पर जवाब देना शुरू कर दिया। लेकिन बयानबाजी उस समय और तेज हो गई जब खुद सीएम भजनलाल ने इस पर अपनी चुप्पी तोड़ी। सीएम भजनलाल ने सर्कस वाले बयान पर पलटवार करते हुए कहा की उन्होंने अपने 5 साल के शासनकाल में होटलों से ही सरकार चलाकर ‘सर्कस’ ही तो किया था। ऐसे में वे उनसे कहना चाहते हैं की 10 महीने पहले वाली घटनाओं पर जरा ध्यान दें तो हकीकत पता चल जाएगी। आदमी किसी पर एक उंगली करता है तो 4 उंगलियां उसकी तरफ तन जाती है। वे प्रदेश के तीन बार सीएम रह चुके हैं मैं उनसे कहना चाहता हूं की कोई भी वक्तव्य दें तो छानबीन करके दें, तो अच्छा रहेगा। क्योंकि वे जिन बातों को कह रहे हैं वे खुद भी तो कर सकते हैं, इस पर विचार करना चाहिए।
‘सर्कस’ शब्द पर बढ़ा बवाल
बहरहाल, गहलोत के इस बयान के बाद कांग्रेस के तमाम नेता अब ‘सर्कस’ शब्द को पकड़ कर सरकार की आलोचना कर रहे हैं वहीं बीजेपी लगातार उसका काउंटर अपनी सरकार के कामकाज की बजाय पुरानी सरकार की विफलताओं को लेकर कर रही है। ऐसे में आरोप प्रत्यारोप के बीच आम जनता तो इन नेताओं द्वारा विकास के नाम पर उन्हें दिखाए जा रहे सर्कस को समझने की ही कोशिश करने को मजबूर नजर आ रही है।