Rajasthan Assembly Elections 2023: राजस्थान की तरह हिमाचल प्रदेश में भी पांच साल पर सत्ता बदलने की परिपाटी रही है। पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा की सरकार सत्ता से बेदखल हो गई और 37 सालों से जारी 5-5 साल रिवाज बरकरार रहा। फिलहाल, राजस्थान में कांग्रेस की गहलोत सरकार है। यहां भी पिछले 30 सालों से 5-5 साल वाला रिवाज बरकरार है। सवाल ये है कि क्या राजस्थान में रिवाज बरकरार रहेगा या रिवाज टूटेगा?
राजस्थान चुनाव की बात से पहले थोड़ी चर्चा हिमाचल चुनाव की कर लेते हैं। कहा जा रहा है कि हिमाचल में जिस तरह कांग्रेस ने जीत के लिए स्ट्रैटर्जी बनाई, उसी स्ट्रैटर्जी पर राजस्थान में भाजपा काम कर रही है। दरअसल, हिमाचल विधानसभा चुनाव में जीतने के लिए कांग्रेस ने टिकट बटंवारे में युवाओं के जोश और अनुभवी नेताओं का बेहतर सामंजस्य रखा था। राज्य के 29 फीसदी युवा वोटर्स को देखते हुए पार्टी ने युवा चेहरों को मैदान में उतारा था, जबकि कुछ अनुभवी चेहरों पर भी पार्टी ने भरोसा जताया था। कहा जा रहा है कि इसी तर्ज पर भाजपा राजस्थान में कुछ युवा और कुछ पुराने चेहरों पर भरोसा जता सकता है।
सूत्रों के मुताबिक, भाजपा ने ये स्ट्रैटर्जी मध्यप्रदेश में भी अपनाई है। अब तक जारी 3 लिस्ट में 79 प्रत्याशियों की घोषणा की गई है। दूसरी लिस्ट में भाजपा ने कुल सात सांसदों को विधानसभा चुनाव के लिए मैदान में उतारा है। इसमें से तीन केंद्रीय मंत्री हैं, जबकि एक राष्ट्रीय महिसचिव शामिल हैं। इसी तर्ज पर भाजपा राजस्थान में भी कुछ सांसदों और केंद्रीय मंत्रियों को विधानसभा चुनाव में उतार सकती है।
23 से 24 की तैयारी में जुटी भाजपा
कहा जा रहा है कि भाजपा 2024 लोकसभा चुनाव की तैयारी 2023 से शुरू कर रही है। भाजपा ने राजस्थान में जीत के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। शायद यही वजह है कि मध्यप्रदेश से उलट राजस्थान में फिलहाल एक भी प्रत्याशी के नाम का एलान नहीं किया गया है। कहा जा रहा है कि पार्टी पूरी तरह से सलाह मशविरा के बाद प्रत्याशियों के नाम का एलान करेगा ताकि कहीं भी गुटबाजी या अंदरुनी कलह जैसी संभावना न रहे। इसी कड़ी में राजस्थान फतह के प्लान को अमलीजामा पहनाने के लिए बुधवार को आधी रात तक जयपुर में कोर कमेटी की मीटिंग चली।
जानकारी के मुताबिक, बुधवार शाम 7 बजे के बाद शुरू हुई कोर कमेटी की बैठक रात करीब 3 बजे तक चली। हालांकि बैठक में क्या हुआ, किन मुद्दों पर चर्चा हुई, किन मुद्दों पर सहमति-असहमति बनी, ये सामने नहीं आया है। भाजपा की इस मैराथन बैठक में राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी, प्रभारी अरुण सिंह, चुनाव प्रभारी और केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह, केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल, केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी, नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़, डॉ. सतीश पुनिया, राज्यवर्धन सिंह राठौड़, बीएल सन्तोष समेत कोर कमेटी के बड़े नेता शामिल हुए।
सूत्रों के मुताबिक, विधानसभा चुनाव से ठीक पहले हुई इस बैठक में तय किया गया कि राजस्थान में चुनाव एमपी मॉडल की तर्ज पर लड़ा जायेगा। यानी जिस तरह मध्यप्रदेश में बीजेपी ने टिकट बंटवारे को लेकर रणनीति में बदलाव किया है, ठीक उसी तरह राजस्थान में तस्वीर बदली नज़र आ सकती है..यानी केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों को विधानसभा का टिकट दिया जा सकता है।
इन केंद्रीय मंत्रियों, सांसदों को राजस्थान में टिकट दे सकती है भाजपा
सूत्रों के मुताबिक, राजस्थान में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव, केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, बांसवाड़ा-डूंगरपुर सांसद कनकमल कटारा को आदिवासी इलाके से विधानसभा का टिकट दिया जा सकता है, जबकि गंगानगर-हनुमानगढ़ सांसद निहाल चंद मेघवाल, झुंझुनू सांसद नरेंद्र सिंह खीचड़, केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी को विधानसभा चुनाव का टिकट दिया जा सकता है।
पार्टी के अंदर ये भी चर्चा है कि 2023 के विधानसभा चुनाव में कुछ मौजूदा विधायकों के टिकट कट सकते हैं। इनकी संख्या 30 से 35 फीसदी बताई जा रही है। कहा जा रहा है कि भाजपा प्रत्याशियों के चयन में कोई कसर नहीं छोड़ना चाह रही है।
सूत्रों ने ये भी बताया कि मैराथन बैठक में मध्यप्रदेश मॉडल के साथ-साथ बिना मुख्यमंत्री के चेहरे के चुनाव लड़ने पर चर्चा हुई। कहा जा रहा है कि बिना मुख्यमंत्री फेस वाले निर्णय पर वसुंधरा राजे को राजी कर लिया गया है। उन्हें ये भरोसा भी दिया गया है कि विधानसभा चुनाव में उनकी अहम भूमिका होगी। चुनाव में उनकी राय को महत्व दिया जायेगा।
राजस्थान भाजपा नेताओं, कार्यकर्ताओं को आलाकमान का ये संदेश
जानकारी के मुताबिक, राजस्थान भाजपा की नेता वसुंधरा राजे, सतीश पुनिया, राजवर्धन सिंह राठौर और गजेंद्र सिंह को आलाकमान की ओर से संदेश दिया गया है कि बिना मुख्यमंत्री फेस पर चुनाव लड़ने के निर्णय के बारे में समर्थकों, कार्यकर्ताओं को समझाएं। साथ ही पार्टी में गुटबाज़ी से बचे।
गहलोत के किले की मजबूत तरीके से भाजपा की ओर से घेराबंदी का एक संकेत इससे भी मिलता है कि राजस्थान भाजपा के अलावा राज्य के बाहर के करीब 44 नेताओं को अलग-अलग जिम्मेदारी भाजपा आलाकमान ने सौंपी है। दिल्ली से सांसद प्रवेश वर्मा को जोधपुर देहात का जिम्मा दिया गया है। पंजाब के प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड को सीकर, केन्द्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह को जयपुर शहर, हरियाणा से विधायक महिपाल ढाडा को हनुमानगढ, हरियाणा प्रदेश महामंत्री संदीप जोशी को चुरू, जबकि यूपी से बीजेपी नेता जुगलकिशोर को जयपुर देहात उत्तर की जिम्मेदारी दी गई है।
जम्मू-कश्मीर के पूर्व डिप्टी सीएम निर्मल सिंह को जयपुर देहात दक्षिण, जम्मू-कश्मीर के पूर्व डिप्टी सीएम कविन्द्र गुप्ता को दौसा, दिल्ली से सांसद रमेश बिधूडी को टोंक की जिम्मेदारी दी गई है।