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राजस्थान

मीसा बंदियों को लेकर भजनलाल सरकार का बड़ा फैसला, फिर से मिलेंगे 20000 रुपये, ये भी मिलेंगी सुविधाएं

राजस्थान में मीसा बंदियों को लेकर भजनलाल शर्मा की सरकार ने बड़ा फैसला लिया। सरकार ने मीसा बंदियों के लिए सदन में राजस्थान लोकतंत्र सेनानी सम्मान विधेयक, 2024 को पास कराया, जिसके तहत मीसा बंदियों को फिर से 20 हजार रुपये मिलेंगे और अन्य सुविधाएं भी मिलेंगी।

Author Written By: kj.srivatsan Author Edited By : Deepak Pandey Updated: Mar 21, 2025 20:58
Bhajanlal Sharma
सीएम भजनलाल शर्मा।

राजस्थान में इमरजेंसी के दौरान जेल गए लोगों को फिर से मासिक पेंशन और दूसरी सरकारी सुविधाएं मिलेंगी। चर्चा के बाद भजनलाल सरकार ने सदन में राजस्थान लोकतंत्र सेनानी सम्मान विधेयक, 2024 को पारित किया। अब मीसा बंदियों को लोकतंत्र सेनानियों के नाम पर सुविधाएं मिलेंगी। खास बात यह है कि जब यह विधेयक राजस्थान विधानसभा में पास हुआ, तब मीसा बंदी रहे 2 विधायक भी मौजूद रहे।

खास बात यह भी है कि विधेयक के जरिये ऐसा कानूनी प्रावधान बनाया गया है, जिसमें सरकार बदलने के बाद भी इसे बंद नहीं किया जा सकेगा। वसुंधरा राजे ने 2014 में 12000 रुपये और साल 2018 में इसे बढ़ाकर सम्मान निधि देने का ऐलान किया था, लेकिन कांग्रेस की सरकार ने राजनीतिक द्वेष के चलते उसे बंद कर दिया था। सरकार की तरफ से वादा किया गया कि लोकतंत्र सेनानियों को टोल फ्री यात्रा, फ्री बस यात्रा और पाठ्यक्रम में उनके योगदान को शामिल किए जाने वाले कानून में शामिल किया जाएगा।

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मीसा बंदियों को हर महीने मिलेंगे 20 हजार रुपये

इमरजेंसी के दौरान सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों के लिए जेलों या पुलिस थानों में बंद रहे लोकतंत्र सेनानियों को हर महीने सम्मान राशि, चिकित्सा सहायता और मुफ्त परिवहन सुविधाएं फिर से मिलेंगी। सरकार की तरफ से संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा कि 25 जून 1975 काला दिवस था और कई लोगों को इसलिए गिरफ्तार कर लिया गया, क्योंकि वे लोकतंत्र को बचाने की आवाज उठाकर सड़कों पर आ गए थे। सरकार के इस फैसले के बाद अब फिर से इन लोगों को 20000 रुपये की मासिक पेंशन और 4000 रुपये का चिकित्सा भत्ता अलग से मिलेगा। सूबे में 1140 मीसा बंदियों को पेंशन मिल रही थी, जिनमें 921 लोग ऐसे थे, जो खुद जेल गए थे, जबकि 219 दिवंगत मीसा बंदियों की पत्नियों को यह सम्मान राशि दी जा रही थी, जोकि अब फिर से शुरू हो जाएगी।

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विपक्ष ने उठाए सवाल

दरअसल, सरकार की कोशिश है कि सत्ता परिवर्तन की सूरत में आने वाली कांग्रेस सरकार इसे फिर से रद न कर दे, इसलिए अब मीसा, डीआरआई सहित तीनों कानून निरस्त हो चुके हैं। इसके लिए सरकार ने कड़े प्रावधान भी किए हैं। विपक्ष ने लोकतंत्र सेनानी सम्मान निधि को लेकर सरकार को घेरने की कोशिश की। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि उस वक्त जिसने कानून का उल्लंघन किया था, उन्हें ही गिरफ्तार किया गया था। इंदिरा गांधी की बुराई तो भाजपा नेता कर रहे हैं, लेकिन उनके चलते पाकिस्तान के टुकड़े हुए और कांग्रेस 1980 में फिर प्रचंड बहुमत से सत्ता में आई। उन्होंने सवाल किया कि आज प्रेस की स्वतंत्रता में देश की रैंकिंग नीचे आ रही है। इमरजेंसी तो संविधान के तहत लागू की गई थी, लेकिन आज खुशी से इमरजेंसी चल रही है। इमरजेंसी में जितने लोग नसबंदी के लिए खड़े नहीं थे, उससे ज्यादा नोटबंदी के दौरान लाइन में खड़े होकर मर गए।

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दरअसल, हर बार जब भी भाजपा सरकार सत्ता में आती है तो डीआईआर और मीसा बंदियों की पेंशन और अन्य सुविधाएं बहाल होती हैं और कांग्रेस सरकार के सत्तारूढ़ होने पर ये सुविधाएं वापस ले ली जाती हैं। जाहिर है कि वसुंधरा राजे से लेकर अशोक गहलोत के शासन में बदलाव के साथ ही मीसा बंदी भी आरोप-प्रत्यारोप के घेरे में आते रहे हैं। ऐसे में अब देखना होगा कि भजनलाल सरकार की यह कोशिश कानूनी दावपेचों को खत्म करके उन्हें स्थायी पेंशन की राह कितनी आसन कर पाएगी।

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First published on: Mar 21, 2025 08:58 PM

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