Rajasthan AAG Posting : भारतीय जनता पार्टी (BJP) खुद को भले ही परिवारवाद से दूर बताती है, लेकिन भजनलाल सरकार के एक फैसले ने पार्टी के दावों को फेल साबित कर दिया। राजस्थान के कानून मंत्री जोगाराम पटेल के बेटे मनीष पटेल को अतिरिक्त महाधिवक्ता (AAG) बना दिया गया। उनकी नियुक्त राजस्थान हाई कोर्ट की मुख्य पीठ जोधपुर में हुई। हालांकि कानून जोगाराम पटेल खुद भी वकील हैं। मनीष पटेल के एएजी बनाने पर कांग्रेस ने भाजपा पर निशाना साधा है।
AAG को क्या मिलती हैं सुविधाएं
राजस्थान में भाजपा से जुड़े कई वरिष्ठ अधिवक्ता इस पद के दावेदार थे, लेकिन सबसे कम अनुभवी मनीष पटेल को यह जिम्मेदारी सौंप दी गई। राजस्थान सरकार के प्रावधानों के अनुसार, नए केस पर पैरवी करने के लिए एडिशनल एडवोकेट जनरल को ड्राफ्टिंग के 5 हजार रुपए दिए जाते हैं। साथ ही राज्य सरकार हाई कोर्ट में चैंबर, स्टाफ और स्टेशनरी का पूरा खर्च उठाती है।
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सवा लाख रुपये मिलते हैं वेतन
इस तमाम सुविधाओं के साथ हर महीने करीब 7 लाख रुपए की आमदनी तय होती है। साथ ही AAG को वेतन के रूप में सवा लाख रुपए मिलते हैं। वहीं, 5 हजार रुपए प्रति केस पैरवी के भी मिलते हैं। एएजी को एक दिन में अधिकतम 5 केसों में पैरवी का भुगतान किया जा सकता है। सरकार से जुड़े जितने मामले हैं, अगर उनमें से सिर्फ 5 मामलों में भी वे अदालत में पेश हो जाए तो वेतन के अलावा प्रतिदिन का 25 हजार रुपए मिलना तय है।
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कांग्रेस ने भाजपा का कसा तंज
राजस्थान सरकार के कानून विभाग ने सुप्रीम कोर्ट और राजस्थान हाई कोर्ट में 6 एडिशनल एडवोकेट जनरल नियुक्ति किया। मंगलवार को देर रात आए आदेश में मनीष पटेल का भी नाम था। ऐसे में परिवारवाद पर कांग्रेस को घेरने वाली बीजेपी अब खुद ही विपक्ष के निशाने पर आ गई है। कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने इस फैसले पर तंज कसते हुए कहा कि यही है भाजपा की कथनी और करनी की हकीकत। कार्यकर्ताओं के साथ छल किया जा रहा है।