---विज्ञापन---

राजस्थान

‘बहू की सैलरी से ससुर को मिलेंगे हर महीने 20 हजार’, राजस्थान हाईकोर्ट ने सुनाया अहम फैसला

राजस्थान हाईकोर्ट ने आज एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट ने अजमेर डिस्कॉम को बहू की सैलरी से ससुर को 20 हजार रुपये देने के आदेश दिए हैं. जस्टिस फरजंद अली की बेंच ने कहा कि अनुकंपा नियुक्ति दिवंगत कर्मचारी के पूरे आश्रित परिवार के हित में दी जाती है, न कि केवल किसी एक व्यक्ति के व्यक्तिगत लाभ के लिए.

Author Written By: News24 हिंदी Author Published By : Versha Singh Updated: Oct 31, 2025 21:54

राजस्थान हाईकोर्ट ने आज एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट ने अजमेर डिस्कॉम को बहू की सैलरी से ससुर को 20 हजार रुपये देने के आदेश दिए हैं. जस्टिस फरजंद अली की बेंच ने कहा कि अनुकंपा नियुक्ति दिवंगत कर्मचारी के पूरे आश्रित परिवार के हित में दी जाती है, न कि केवल किसी एक व्यक्ति के व्यक्तिगत लाभ के लिए.

जस्टिस फरजंद अली की एकल पीठ ने अजमेर डिस्कॉम को आदेश देते हुए कहा कि बहू शशि कुमारी को अपनी सैलरी से हर महीने 20 हजार रुपये काटकर अपने ससुर भगवान सैनी के बैंक खाते में जमा करने होंगे. बता दें कि राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर बेंच ने ये फैसला सुनाया है. दरअसल, जस्टिस फरजंद अली ने अनुकंपा नियुक्ति के एक केस में सुनवाई की है. ये मामला अलवर के खेरली का है. जस्टिस फरजंद अली के आदेश के अनुसार, ये कटौती 1 नवंबर 2025 से प्रभावी होगी और भगवान सिंह के जीवनकाल तक जारी रहेगी.

---विज्ञापन---

क्या है पूरा मामला?

अलवर जिले के कठूमर के खेरली के रहने वाले भगवान सिंह सैनी ने हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की थी. उनका बेटा राजेश कुमार अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड में तकनीकी सहायक के पद पर कार्यरत था. 15 सितंबर 2015 को सेवा के दौरान भगवान सिंह के बेटे का आकस्मिक निधन हो गया.

राजेश की मौत के बाद विभाग ने 21 सितंबर और 26 सितंबर 2015 को पत्र जारी कर भगवान सिंह को अनुकंपा नियुक्ति के तहत आवेदन करने का निर्देश दिया. राजेश की पत्नी शशि कुमारी ने भी अनुकंपा नियुक्ति के आवेदन किया.

---विज्ञापन---

LDC के पद पर मिली नियुक्ति

राजेश कुमार की मौत के बाद विभाग ने 21 सितंबर और 26 सितंबर 2015 को पत्र जारी करके भगवान सिंह को अनुकंपा नियुक्ति के तहत आवेदन करने को कहा था. इसी दौरान राजेश की पत्नी शशि कुमारी ने भी अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन कर दिया. जिसके बाद ससुर ने उदारता दिखाते हुए और अपनी मर्जी से अनुकंपा नियुक्ति अपनी जगह अपनी बहू को दे दी. इस सिफारिश के बाद 11 मार्च 2016 को अजमेर डिस्कॉम ने शशि कुमारी को अनुकंपा के आधार पर LDC के पद पर नियुक्त किया.

शपथ पत्र से मुकर गई बहू

नियुक्ति के समय शशि कुमार ने एक शपथ पत्र दिया था जिसमें उसने कहा था कि वह अपने पति के माता-पिता के साथ ही रहेगी और उनकी भरण पोषण करेगी और वह उनके कल्याण की पूरी जिम्मेदारी लेगी, कभी दूसरी शादी नहीं करेगी.

लेकिन इस मामले में कुछ समय बाद ही ससुर भगवान सिंह का आरोप है कि उनकी बहू का शपथ पत्र झूठा था, क्योंकि शशि कुमारी उस समय अपने माता पिता के साथ अलग रह रही थी. खेरली कठूमर नगर पालिका के अध्यक्ष की जांच रिपोर्ट में सामने आया कि अपने पति की मृत्यु के बाद 18 दिन बाद ही शशि कुमारी ने अपना ससुराल और लड़के के माता-पिता को छोड़ दिया था और अपने माता पिता के साथ जाकर रह रही थी.

इस मामले के सामने आने के बाद जस्टिस फरजंद अली ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि शशि कुमारी को यह नियुक्ति उनकी व्यक्तिगत योग्यता, क्षमता या पात्रता के आधार पर नहीं मिली थी. कोई विज्ञापन भी नहीं निकाला गया था और न ही कोई प्रतिस्पर्थी चयन किया गया था. न ही उन्होंने कोई लिखित परीक्षा दी थी न ही कोई इंटरव्यू. ये नौकरी राज्य सरकारी की ओर से उन पर दया दिखाते हुए किया गया काम था. जो अपने दिवंगत कर्मचारियों के आश्रितों की सहायता के लिए किया गया था.

यह भी पढ़ें- राजस्थान हाईकोर्ट को बम से उड़ाने की धमकी, खाली कराया परिसर

First published on: Oct 31, 2025 09:54 PM

संबंधित खबरें

Leave a Reply

You must be logged in to post a comment.