Jaipur News: विधानसभा में सोमवार को बहस के बाद नगरपालिका संशोधन बिल पारित हो गया। बिल में जोड़े गए प्रावधानों के अनुसार शहरी निकायों के पार्षदों और निकाय प्रमुखों को अयोग्य होने पर अब सरकार कभी भी हटा सकेगी। अब तक पार्षद, निकाय प्रमुखों को अयोग्य होने पर चुनाव याचिका दायर करके ही हटाने का प्रावधान था।
जोड़े गए नए प्रावधान
नगरपालिका एक्ट की धारा 31 के अनुसार पार्षद, निकाय प्रमुखों को हटाने के प्रावधान दिए गए हैं। उन प्रावधानों में एक और नया प्रावधान जोड़ा गया है। नए प्रावधान के अनुसार अगर कोई पार्षद दो ज्यादा संतान, अपने खिलाफ कोई मुकदमे सहित चुनाव लड़ने में अयोग्य होते हुए भी जीत जाता है तो जांच के बाद उसे हटाया जा सकेगा।
#राजस्थान #विधानसभा में श्री शान्ती कुमार धारीवाल (स्वायत्त शासन, नगरीय विकास एवं आवासन मंत्री)…https://t.co/2HfidyklR6 pic.twitter.com/fd2L9K5kHl
— Rajasthan Vidhan Sabha (@RajAssembly) March 20, 2023
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विपक्ष ने उठाए सवाल
हालांकि इस बिल पर विपक्ष ने गंभीर सवाल उठाए। उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ समेत कई विधायकों ने कहा कि सरकार शहरी निकायों पर अपनी मनमर्जी चलाना चाहती है। इसलिए वह सदस्यों को हटाने के नए प्रावधान ला रही है। यह पार्षदों को डराकर रखने का माध्यम बनेगा।
यूडीएच मंत्री ने दिए विपक्ष के सवालों के जवाब
विपक्ष के सवालों पर यूडीएच मंत्री धारीवाल ने कहा कि नगरपालिका अधिनियम की धारा 31 के तहत निर्वाचित सदस्य को हटाने का प्रावधान किया हुआ है। अभी केवल चुनाव याचिका के जरिए ही उसे हटाने का प्रावधान था। इसके अलावा कोई रास्ता नहीं है।
चुनाव याचिका भी उसके जीतने के 1 महीने के भीतर पेश करनी होती है। एक महीने के भीतर किसी को उसकी अयोग्यता के बारे पता नहीं चलता है। एक महीने के बाद पता लगता है कि पार्षद अयोग्य है लेकिन पुराने प्रावधान से वह चुनाव याचिका दायर नहीं कर सकता। तब उसे हटाने का कोई उपाय नहीं होता था।