मानसून सत्र से पहले रविवार को दिल्ली में आयोजित सर्वदलीय बैठक में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के संयोजक और नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल ने भाग लिया। बैठक के दौरान उन्होंने देशभर में हो रही परीक्षाओं में पेपर लीक की बढ़ती घटनाओं को लेकर गंभीर चिंता जताई।
RPSC के पुनर्गठन की रखी मांग
सांसद बेनीवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने चुनाव से पहले पेपर लीक के मामलों पर सख्त कार्रवाई का वादा किया था। आज मेहनतकश युवा देशभर में पेपर माफियाओं से आहत हैं, इसलिए इस मुद्दे पर संसद में विशेष और व्यापक चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने राजस्थान पुलिस की एसआई भर्ती को रद्द करने और राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) के पुनर्गठन की मांग भी बैठक में रखी।
ये भी पढ़ें: मानसून सत्र में सरकार का सिरदर्द बनेगा SIR, विपक्ष ने पूरी कर ली तैयारी
सांसद निधि बढ़ाने और छोटे दलों को अधिक अवसर देने की मांग
सांसद बेनीवाल ने बैठक में सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास निधि (एमपी लैड) को मौजूदा 5 करोड़ से बढ़ाकर 25 करोड़ किए जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि संसद में एक या दो सांसदों वाली छोटी पार्टियों को भी प्रत्येक विधेयक पर बोलने का मौका मिलना चाहिए और बीएसी जैसी समितियों में भी उनका प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाना चाहिए। साथ ही उन्होंने केंद्रीय विद्यालयों में सांसदों के लिए पूर्व में आरक्षित कोटा बहाल करने की मांग भी रखी।
आपदा प्रबंधन, सिंधु जल और एविएशन सुरक्षा जैसे मुद्दे भी उठाए
सांसद ने देश में मानसून के दौरान हर वर्ष आने वाली बाढ़ और अतिवृष्टि के प्रभाव को देखते हुए आपदा प्रबंधन की नीति में आधुनिकता लाने पर जोर दिया। उन्होंने सुझाव दिया कि बाढ़ के जल को संग्रहित कर उसी क्षेत्र में उपयोग करने हेतु बांध निर्माण की योजना बनाई जाए। इसके साथ ही, उन्होंने हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर पर भी संसद में चर्चा कराने की मांग की। पाकिस्तान के साथ निरस्त किए गए सिंधु जल समझौते को लेकर उन्होंने कहा कि सिंधु और चिनाब नदियों का पानी राजस्थान, विशेषकर पश्चिमी राजस्थान में लाने की योजना बनाई जानी चाहिए।
ये भी पढ़ें: Monsoon Session: कितने प्रकार के होते हैं संसद सत्र? क्या होती है सेशन बुलाने की प्रक्रिया
प्रश्नों का समयबद्ध उत्तर और विशेष चर्चाओं की आवश्यकता
सांसद बेनीवाल ने कहा कि संसद में शून्यकाल या नियम 377 के तहत उठाए गए किसी भी मुद्दे का उत्तर संबंधित मंत्रालय द्वारा एक सप्ताह के भीतर दिया जाना चाहिए। साथ ही शून्यकाल में उठाए गए मामलों पर संबंधित मंत्री को तत्काल जवाब देने की व्यवस्था भी सुनिश्चित की जानी चाहिए। उन्होंने सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में संसाधनों और स्टाफ की कमी पर पृथक से चर्चा कराने की मांग की। इसके अलावा हाल ही में अहमदाबाद में हुए विमान हादसे को लेकर उन्होंने एविएशन सेक्टर की सुरक्षा, तकनीकी खामियों और डीजीसीए की रिपोर्टों पर एक दिन की विशेष चर्चा की मांग की।
ढांचे में व्यापक सुधार की आवश्यकता
सांसद ने कहा कि आपदा प्रबंधन के मौजूदा ढांचे में व्यापक सुधार की आवश्यकता है। किसी भी आपदा में मरने वाले व्यक्ति या पशुधन को मिलने वाली आर्थिक सहायता बेहद कम है, इसलिए इस विषय पर भी संसद में विशेष चर्चा करवाई जानी चाहिए।