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राजस्थान के उपचुनाव में खिला बीजेपी का कमल, भजनलाल शर्मा का चुनावी मैनेजमेंट आया काम

उपचुनाव को सरकार के साथ-साथ मुख्यमंत्री भजन लाल के लिए भी बड़ी चुनौती थी। तारीख के ऐलान के साथ ही भाजपा को जीत दिलाने के लिए मुख्यमंत्री ने अपने माइक्रो मैनेजमेंट पर काम करना शुरू कर दिया।

Edited By : Ankita Pandey | Updated: Nov 23, 2024 20:36
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Bhajan lal Sharma
Bhajan lal Sharma

Rajasthan By Election 2024 (के जे श्रीवत्सन): 11 महीने तक सरकार चलाने के बाद भजनलाल सरकार के सामने सबसे पहली परीक्षा लोकसभा चुनाव की थी, जिसमें बीजेपी का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है। ऐसे में उपचुनाव को सरकार के साथ-साथ मुख्यमंत्री भजन लाल के कामकाज की कसौटी माना गया। उपचुनाव की तारीख के ऐलान के साथ ही भाजपा के सामने तमाम राजनीतिक, क्षेत्रीय और जातिगत समीकरणों को साधने के साथ-साथ जमीनी ,जिताऊ एवं लोकप्रिय चेहरे को उम्मीदवार के रूप में ढूंढना एक चुनौती थी। इसे मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने पहले ही भांप लिया था। भजनलाल शर्मा चार बार पार्टी के महामंत्री भी रह चुके हैं, ऐसे में शुरू से ही संगठन और संगठनात्मक राजनीति पर उनकी मजबूत पकड़ भी थी।

भजनलाल शर्मा ने चुनाव में झोंक दी पूरी ताकत

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने अपनी टीम के साथ प्रत्याशियों के चयन से पहले माइक्रो मैनेजमेंट एवं संगठन समन्वय के साथ सर्वप्रिय चेहरों का चयन किया, जिसके चलते भाजपा के कार्यकर्ताओं में उत्साह एवं जीत का संचार हुआ । टिकट की घोषणा के बाद खींवसर, सलुम्बर, रामगढ़ और झुंझुनू चार सीटों पर बागियों को मनाना मुख्यमंत्री के लिए सबसे बड़ी चुनौती थी। ऐसे में उन्होंने समय रहते बड़ी चतुराई से बागी कार्यकर्ताओं को बिना किसी शर्त मना लिया। इससे हम और भाजपा जीत की ओर आगे एक कदम आगे बढ़ चली।

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मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने खुद सात विधानसभा क्षेत्रों के विभिन्न स्तर की बैठकों का आयोजन अपने आवास एवं क्षेत्रों में किया। चुनाव वाले सभी सीटों पर खुद दो-दो बार चुनाव प्रचार के लिए गए अपने मंत्रिमंडल के कद्दावर मंत्रियों , पार्टी सांसदों और विधायकों को जीत का टास्क देते हुए पूरी ताकत चुनाव में झोंक दी।

bhajanlal sharma

सीएम भजनलाल शर्मा

माइक्रो मैनेजमेंट से बना काम

माइक्रो मैनेजमेंट के लिए बूथ स्तर पर खास निगरानी रखी गई। यहां तक की उपचुनाव के ऐलान के बाद दीपावली के त्यौहार वाले दिन भी कुछ कार्यकर्ताओं और मंत्रियों के लिए चुनाव वाले इलाकों में ही डटे रहने का निर्देश जारी किया गया। इसके साथ ही महत्वपूर्ण नेताओं को सामाजिक समीकरणों को साधने, कमजोरियों को पहचानने का जिम्मा सौंपा गया।

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यही नहीं खुद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने पार्टी के सभी सातों सीट के प्रत्याशियों के नामांकन परिचय जमा करने के दौरान उपस्थित रहे और जनसभाएं की, जिससे कार्यकर्ताओं और चुनावी टोली में भी सभी क्षेत्र में उत्साह आखिर तक बरकरार रहा।

महाराष्ट्र में स्टार प्रचारक के रूप में चुनाव की जिम्मेदारी पास होने के बावजूद भी प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ के साथ आपसी तालमेल बनाते हुए भजनलाल शर्मा ने लगातार बूथ के कार्यकर्ता, मंडल के कार्यकर्ता, शक्ति केंद्र के कार्यकर्ता, विभिन्न व्यवस्था में लगी टीमें, चुनावी प्रचार अभियान में लगे कार्यकर्ता, विधानसभा चुनाव संचालन समितियों और क्षेत्र में लगे प्रदेश के पदाधिकारियों से लगातार फोन पर संपर्क बनाए रखा।

बीजेपी के तमाम नेताओ को विपक्ष और विरोधियों पर लगातार आरोपो के प्रहार ,आक्रामक भाषण देते देखा गया , जो इनके शानदार चुनावी प्रचार का हिस्सा रहा। वहीं, दूसरी ओर कांग्रेस की गुटबाजी, पसंदीदा उम्मीदवार के क्षेत्र में ही उनके बड़े नेताओं का प्रचार, सांसदों के मनमानी तरीके से टिकट दिलाने, बड़े नेताओं का चुनाव प्रचार में नहीं जाना ही इनके हार का कारण बना।

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Written By

Ankita Pandey

First published on: Nov 23, 2024 08:36 PM

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