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राजस्थान

भीनमाल में ‘आटा-साटा’ विवाद ने ली दो जानें: दो भाइयों को डबल मर्डर में फांसी

जालोर के भीनमाल में रिश्तों पर लालच और रंजिश की एक भयावह कहानी ने पूरे इलाके को हिला दिया. आटा-साटा यानी विवाह विनिमय (एक की बेटी के बदले दूसरे की शादी) के विवाद ने ऐसा तूफान खड़ा किया कि दो मासूम जिंदगियां खत्म हो गईं. अब अदालत ने इस जघन्य वारदात पर बड़ा फैसला सुनाते हुए दो सगे भाइयों—डूंगर सिंह और पहाड़ सिंह—को फांसी की सजा सुनाई है.

Author Written By: kj.srivatsan Updated: Dec 10, 2025 20:10

जालोर के भीनमाल में रिश्तों पर लालच और रंजिश की एक भयावह कहानी ने पूरे इलाके को हिला दिया. आटा-साटा यानी विवाह विनिमय (एक की बेटी के बदले दूसरे की शादी) के विवाद ने ऐसा तूफान खड़ा किया कि दो मासूम जिंदगियां खत्म हो गईं. अब अदालत ने इस जघन्य वारदात पर बड़ा फैसला सुनाते हुए दो सगे भाइयों—डूंगर सिंह और पहाड़ सिंह—को फांसी की सजा सुनाई है.

एडीजे कोर्ट भीनमाल के जज राजेंद्र साहू ने लगभग ढाई साल बाद बुधवार को फैसला देते हुए दोनों अपराधियों पर 10-10 लाख रुपये का अर्थदंड भी लगाया.

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क्या था मामला?

3 अप्रैल 2023, रामसीन थाना क्षेत्र का मोदरान गांव. शादी नहीं होने की कुंठा, रोजगार न होने की निराशा और आटा-साटा में शादी न करवाने का गुस्सा… इन सबने मिलकर दो भाइयों को हैवान बना दिया.

दोनों आरोपी—डूंगर सिंह (45) और पहाड़ सिंह (46)—अपनी शादी बड़े भाई रतन सिंह से कराना चाहते थे. लेकिन रतन सिंह ने अपनी बेटी रिंकू कंवर ने आटा-साटा में विवाह करवाने से इनकार कर दिया. बस, यहीं से घातक रंजिश ने जन्म लिया.

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कुल्हाड़ियों से ताबड़तोड़ हमला, दो मौतें

गुस्से से बेकाबू दोनों भाइयों ने बड़े भाई रतन सिंह के घर में घुसकर कुल्हाड़ियों से हमला कर दिया. जिसमें भाभी इंदिरा कंवर (45) की मौके पर मौत हो गई. बीच बचाव करने के लिए आए पड़ोसी हरिसिंह (33) को भी नहीं बख्शा – उनकी भी मौत इस घटना के दौरान बुरी तरह जख्मी होने से हो गई. जबकि रतन सिंह और उसकी बेटी रिंकू गंभीर रूप से घायल हो गए. इतना ही नहीं, घटना के बाद मौके पर पहुंचे ASI सुरेंद्र सिंह से भी ग्रामीणों ने झगड़ा किया, जिसमें वे घायल हो गए.

56 दिन में पूरी हुई जांच, 30 गवाहों ने दिलाए दोनों को फांसी

दोनों आरोपियों को पुलिस ने उसी रात घर से गिरफ्तार कर लिया. तत्कालीन थानाधिकारी अरविंद सिंह और वर्तमान SHO ने सिर्फ 56 दिनों में केस की जांच पूरी कर चार्जशीट पेश कर दी. अदालत में कुल 30 गवाहों ने गवाही दी.

परिवादी पक्ष की ओर से अधिवक्ता पृथ्वी सिंह बागोड़ा ने पैरवी की. अपर लोक अभियोजक भरत आर्य ने अदालत में घटना की विस्तृत परिस्थितियों को रखा.

अदालत का सख्त रुख

जज ने अपना फैसला लिखते हुए कहा कि यह हत्या केवल रंजिश नहीं, बल्कि मानवता के खिलाफ बर्बर अपराध है—जहां रिश्ते, परिवार और समाज—सबका विश्वास टूटा. इसलिए इसे “रेयरेस्ट ऑफ द रेयर” मानते हुए फांसी की सजा जरूरी है.

First published on: Dec 10, 2025 08:10 PM

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