के जे श्रीवत्सन, जयपुर: राजस्थान के रेजिडेंट डॉक्टर पिछले 6 दिनों से काम रोको हड़ताल पर है, जिसके चलते मरीजों की जान पर बन आई है। कई ऑपरेशनों को टालना पड़ा है और अस्पताल में ओपीडी और वार्ड में सही ढंग से मरीजों को चिकित्सा सुविधाएं भी नहीं मिल पा रही है। हालांकि सीनियर डॉक्टर्स ने मोर्चा संभाल रखा है लेकिन वह नाकाफी साबित हो रहा है।
बता दें कि सरकार की बॉन्ड नीति के विरोध में उतरें रेजिडेंट डॉक्टर्स ने सपूर्ण कार्य बहिष्कार शुरू कर दिया है। जयपुर के सभी रेजिडेंट डॉक्टर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं राजस्थान के सभी मेडिकल कॉलेजों के रेजिडेंट डॉक्टर्स ने दो दिन से काली पट्टी बांधकर विरोध जताना शुरू कर दिया है। रेजिडेंट डॉक्टर्स का कहना है कि सरकार जल्द फैसला नहीं लेती है तो प्रदेश के सभी रेजिडेंट डॉक्टर हड़ताल पर जाएंगे।
इस बहिष्कार से डॉक्टर्स ने आइसीयू और इमरजेंसी सेवाओं को बाहर रखा है। रेजिडेंट डॉक्टर्स के मुताबिक, कोशिश कर रहे हैं कि गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीजों को परेशानी न हो।
वहीं इस मुद्दे पर चिकित्सा शिक्षा विभाग का कहना है कि सरकार प्रदेश के विभिन्न जिलों में नए मेडिकल कॉलेज खोल रही है। ऐसे में पीजी पूर्ण कर चुके चिकित्सकों की आवश्यकता है। बॉन्ड नीति में बदलाव करते हुए अब पीजी पूर्ण करने के बाद चिकित्सक को 2 साल सरकारी सेवा में नौकरी देनी होगी या फिर 25 लाख रुपए देने होंगे। ऐसे में सरकार इन नियमों में कुछ राहत देने को राजी हो गई है। लेकिन इसके बावजूद भी चिकित्सक अपनी हड़ताल खत्म नहीं कर रहे।
वहीं कई बार सरकार के स्तर पर चिकित्सकों की वार्ता भी हुई लेकिन अभी तक सभी वार्ता बेनतीजा साबित हुईं हैं। इस बीच सरकार इन चिकित्सकों को राहत देने की बात कह रही है।
इस मामले को लेकर चिकित्सा शिक्षा सचिव वैभव गालरिया का कहना है कि रेजिडेंट्स के साथ हमारी लगातार वार्ता हो रही है। वार्ता के दौरान बॉन्ड से जुड़ी परेशानियां सुनी जा रही है। साथ ही अपना पक्ष भी रख रहे हैं. गालरिया का कहना है कि जब चिकित्सक पीजी करने आते हैं तो उनसे बॉन्ड भरवाया जाता है। इसके तहत पीजी पूर्ण होने के बाद उन्हें 5 साल अपनी सेवाएं प्रदेश में देनी होती हैं। लेकिन बॉन्ड की अवधि 5 साल से घटाकर 2 साल किया गया है।
दरअसल, राजस्थान सरकार मेडिकल रेजीडेंट्स के लिए बॉड नीति लाई है। इसके अनुसार रेजीडेंट का कहना है कि उनको नुकसान होगा और उनकी प्रैक्टिस पर भी फर्क पडेगा। इस बॉड नीति को निरस्त करने समेत अन्य कई मांगे हैं रेजीडेंट डॉक्टर्स की।
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