के जे श्रीवत्सन, जयपुर: आज देशभर में हर्सोल्लास के साथ रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जा रहा है। ऐसा ही एक नजारा जयपुर सेंट्रल जेल में भी देखने को मिला जहां आज जेल एक जलसे में तब्दील हो गई। रक्षाबंधन का उत्सव कैदियों के लिए भी ढ़ेर साडी खुशियां लेकर आया। जब जेल में बंद हजारों बंदियों को राखी बांधने व उनसे राखी बंधवाने के लिए महिला व पुरूष यहां पहुंचे। इस दौरान जेल प्रशासन के इंतजामों से सभी बहिनों व भाईयों को मिलने का मौका मिला। 2 साल से कोरोना के चलते जेल में राखी का त्यौहार बंद था लेकिन इस बार यह त्यौहार मनाया गया।
बता दें कि राजस्थान में 2 साल से कोरोना का कहर था इसी के चलते जेल में राखी का पर्व नहीं मनाया जा रहा था। लेकिन अब कोरोना कम होने के बाद एक बार फिर से जेल में खुशियों का त्योहार बनाया जा रहा है। इस बार भी रक्षाबंधन के त्यौहार पर जेल प्रशासन ने बंदियों को राखी बांधने के लिए विशेष इंतजाम किए। जेल प्रशासन की ओर से सुबह करीब 8 बजे से बहनों को जेल में बंद अपने भाईयों की कलाई पर राखी बांधने का मौका दिया गया। तो वहीं महिला बंदीगृह में भी भाईयों को अपनी बहनों से राखी बंधवाने का मौका मिला।
इसके बाद यहां धीरे-धीरे यहां लंबी कतारें लग गई। पहली बार जहां बड़े हॉल में बहनों को जेल में बंद अपने भाईयों से मिलने और उनकी कलाई पर राखी बांधने का मौका मिला तो वहीं जेल के बाहर खड़ी बहने अपनी बारी का इंतजार करती रही। यहां आने वाली बहनों को जेल प्रशासन ने तीन स्तरीय जांच व्यवस्था से गुजर कर अपने भाईयों को राखी बांधने का मौका दिया।
जयपुर सेंट्रल जेल में बंद अपने भाईयों से मिलने और उन्हें राखी बांधने के बाद यहां माहौल भावुक हो गया। मुलाकात कक्ष के बाहर आती बहनों की आंखों में आंसू दिखे और बार-बार वो अपने भाईयों से मिलने के लिए और वक्त देने की गुहार लगाती दिखी। राखी बांधने के बाद बाहर आई बहनों ने कहा कि राखी के त्यौहार पर उन्होंने अपने भाई से भविष्य में अपराध से दूर रहने का वचन लिया है।
जेलों में बंद बंदियों के व्यवहार में सुधार लाने और उन्हें अपराध की प्रवृत्ति से दूर रखने के मकसद से आयोजित किए गए रक्षाबंधन के त्यौहार पर जेल प्रशासन भी खासा उत्साहित दिखा। जेलर की माने तो जेलों में त्यौहार मनाने से बंदियों को सुधरने का अवसर मिलता है और उनमें समाज की मुख्यधारा में वापस लौटने की भावना जाग उठती है। तो वहीं जेल में बंद बंदी भी अनजाने में हुए अपराध के लिए पश्चाताप करते दिखे। बंदियों ने अपराध की दुनिया से दूर रहते हुए समाज की मुख्य धारा में वापस लौटने की इच्छा जताई ।