Saragarhi Day: Stone Layment For saragarhi Memorial, फिरोजपुर: पंजाब की विरासत को संभालने के लिए आए दिन सराहनीय काम कर रही प्रदेश की सरकार ने शहीदों के शहर फिरोजपुर के इतिहास को भी चार चांद लगाने की दिशा में कदम उठाया है। मंगलवार को यहां स्थित गुरुद्वारा सारागढ़ी परिसर में बनने वाले स्मारक का नींवपत्थर रखने के बाद मुख्यमंत्री भगवंत मान कहा कि सारागढ़ी जंग के दौरान सैनिकों की शौर्यगाथा और बलिदान हमारी आने वाली पीढ़ियों को देश की निस्वार्थ सेवा के लिए प्रेरित करती रहेगी
आज के इस कार्यक्रम के बारे में जानकारी देने से पहले यहां यह बता देना भी बेहद अहम है कि 12 सितम्बर 1897 को अंग्रेजी हुकूमत के लिए लड़ते हुए तत्कालीन इंडियन आर्मी के 21 वीर सिख सैनिकों ने 10 हजार अफगान आक्रांताओं के किस तरह दांत खट्टे किए। बहुत से मारे गए तो फिर बाकी गुरुद्वारा सारागढ़ी का यह रणक्षेत्र छोड़कर भागने को मजबूर हो गए थे।
पंजाब के इतिहास को सहेजने के उद्देश्य से 2019 में पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने स्मारक बनाने का ऐलान किया और एक करोड़ रुपए जारी किए थे। इसके बाद सत्ता बदल गई, लेकिन सिर्फ 25 लाख रुपए की कमी के चलते यह प्रोजेक्ट अधूरा ही रह गया। पहले कैप्टन की गद्दी को बागियों ने हिला दिया तो फिर विधानसभा चुनाव का वक्त आ गया। अब प्रदेश की सत्ता में बैठ यहां की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने में लगी भगवंत मान सरकार ने इस स्मारक का निर्माण पूरा करने का बीड़ा उठाया है।
आज सारागढ़ी स्मारक शौर्य दिवस पर फिरोजपुर के गुरुद्वारा सारागढ़ी पहुंचे मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने न सिर्फ पुरानी सरकार पर निशाना साधा, बल्कि अपने राज में ऐसे कार्यों के लिए फंड की कमी नहीं आने देने का आश्वासन दिया। उन्होंने 21 सिख शूरवीरों की इस यादगार का नींव पत्थर रखने के बाद निर्माणकार्य सिर्फ छह महीने में मुकम्मल कराने का ऐलान किया। फिरोजपुर जिले को राज्य में पर्यटन केंद्र के तौर पर विकसित करने के ऐलान के साथ मुख्यमंत्री ने कहा कि सारागढ़ी स्मारक के अलावा शहीद भगत सिंह, शहीद सुखदेव और शहीद राजगुरु के शहीदीस्थल हुसैनीवाला को दुनियाभर के सैलानियों को दिखाने का वादा किया।
गुरु गोविंद सिंह की अमर कहानी को याद करते हुए सीएम मान ने कहा कि दशमेश पिता श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी के साहिबजादे और माता गुजरी जी दिसंबर महीने में शहीद हुए थे, जिस कारण समूची कौम के लिए यह महीना शोक का महीना होता है। इस महीने में सरकारी स्तरी पर कोई भी खुशी वाला समारोह नहीं करने के आदेश अधिकारियों को पहले ही दिए जा चुके हैं। यह प्रयास राज्य सरकार और लोगों द्वारा साहिबजादों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।