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Punjab: पूर्व जत्थेदार रघुवीर सिंह का नए जत्थेदार के खिलाफ बड़ा बयान, नियुक्ति को लेकर कही बड़ी बात

Punjab News: तख्त श्री केसगढ़ साहिब के नए जत्थेदार सिंह साहिब ज्ञानी कुलदीप सिंह गढ़गज ने पदभार ग्रहण कर लिया है। वहीं पूर्व जत्थेदार श्री अकाल तख्त साहिब ज्ञानी रघुवीर सिंह का ज्ञानी कुलदीप सिंह गढ़गज के खिलाफ बड़ा बयान सामने आया है।

Author Edited By : Deepti Sharma Updated: Mar 11, 2025 10:38
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Punjab News: बीते दिन तख्त श्री केसगढ़ साहिब में नवनियुक्त जत्थेदार ज्ञानी कुलदीप सिंह की ताजपोशी पर जहां सिख कौम और सभी सियासी गलियारों में चर्चा का विषय छिड़ा हुआ है, वहीं पूर्व जत्थेदार श्री अकाल तख्त साहिब ज्ञानी रघुवीर सिंह का बड़ा बयान सामने आया है। पूर्व जत्थेदार श्री अकाल तख्त साहिब ज्ञानी रघुवीर सिंह ने कहा कि बीते दिन तख्त श्री केसगढ़ साहिब में नए जत्थेदार की चोरी-छिपे हुई ताजपोशी पर सिख पंथ में सवाल उठना स्वाभाविक है।

ताजपोशी गुरु पंथ के अनुसार हो- ज्ञानी रघुवीर सिंह

उन्होंने कहा कि उन्हें जत्थेदार की पदवी से सेवा मुक्ति दी गई। इसके लिए उनका कोई रोष नहीं है और वह आज भी बात और हेड ग्रंथी गुरु घर में सेवा कर रहे हैं। यह फैसला अंतरिंग कमेटी लेती है और वह एक अलग विषय है। लेकिन जब भी किसी नए जत्थेदार की नियुक्ति होती है, तो वह निर्णय जरूर एसजीपीसी की अंतरिंग कमेटी लेती है, लेकिन उसे जत्थेदार की ताजपोशी गुरु पंथ की मर्यादा अनुसार की जाती है।

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उन्होंने बताया कि जब किसी की ताजपोशी होती है, तो उससे पहले सिख कौम में निहंग सिंह जत्थेबंदियों, टकसालों, सभा समिति, संप्रदायों, सिख बुद्धिजीवियों आदि सिख समुदाय से जुड़े हर एक संस्थान को उसके लिए आमंत्रण दिया जाता है। अखबारों में इश्तिहार दिया जाता है और फिर तय समय में जत्थेदार की ताजपोशी की जाती है। उन्होंने कहा कि इसमें शिरोमणि या काली दाल का नुमाइंदा भी दस्तार लेकर पहुंचता है, लेकिन सबसे पहले सचखंड श्री हरमंदिर साहिब का हेड ग्रंथी, श्री अकाल तख्त साहिब का जत्थेदार उन्हें दस्तार देता है।

मर्यादा का उल्लंघन किया गया

इसके साथ श्री अकाल तख्त साहिब की फसील से हुक्मनामा जारी होता है। उसके बाद संगत जयकारा लगाती है और फिर जत्थेदार की ताजपोशी प्रवाण की जाती है। इसके तहत श्री केसगढ़ साहिब के जत्थेदार की नियुक्ति में ऐसा कुछ भी नहीं देखने को मिला, बल्कि जहां अखंड पाठ के बीच में उनकी ताजपोशी की गई। गुरु साहिब का प्रकाश भी वहां पर नहीं था। जहां तक उनका ख्याल है, गुरु साहिब के अस्त्र-शस्त्र भी सुशोभित नहीं किए गए थे और उसके बाद उन्होंने खाली पालकी में मत्थे का और सिख समुदाय से जुड़े भी वहां पर मौजूद नहीं थे। इसके अलावा न सचखंड श्री हरमंदिर साहिब के हेड ग्रंथी, न श्री अकाल तख्त साहिब के हेड ग्रंथी और इस समय में जत्थेदार की ताजपोशी पर सवाल उठना स्वाभाविक था। उन्होंने कहा कि यह मर्यादा का उल्लंघन किया गया है।

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Deepti Sharma

First published on: Mar 11, 2025 10:38 AM

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