अमित पांडेय, चंडीगढ़: इस साल अक्तूबर-नवंबर में भारत में होने वाले एकदिवसीय क्रिकेट विश्व कप-2023 के लिए मंगलवार को जारी कार्यक्रम में मेजबानी सूची से मोहाली को बाहर कर दिया गया है। पंजाब के खेल मंत्री गुरमीत सिंह मीत हेयर ने इस फैसले को राजनीतिक कारणों से प्रेरित बताते हुए इसकी कड़ी निंदा की है।
पंजाब को बाहर करना खुला भेदभाव है
जारी एक प्रेस बयान में मीत हेयर ने कहा कि विश्व कप मैचों की मेजबानी से पंजाब को बाहर करना खुला भेदभाव है क्योंकि पीसीए स्टेडियम मोहाली के निर्माण के बाद यह पहली बार है कि विश्व कप भारत में आयोजित किया जा रहा है और मोहाली में कोई मैच नहीं हो रहा। उन्होंने कहा कि 1996 और 2011 में विश्व कप सेमीफाइनल मोहाली में खेले गए थे, लेकिन इस बार एक भी लीग मैच की मेजबानी नहीं मिली। उद्घाटन और फाइनल मैच के अलावा अहमदाबाद को भारत-पाकिस्तान मैच की भी मेजबानी मिली है।
भेदभाव का मुद्दा बीसीसीआई के समक्ष उठाएगी
मीत हेयर ने कहा कि पीसीए स्टेडियम मोहाली न केवल भारत के शीर्ष पांच स्टेडियमों में से एक है बल्कि दुनिया के चुनिंदा स्टेडियमों की सूची में भी आता है। क्रिकेट प्रेमियों की पहली पसंद मोहाली को मेजबान सूची से बाहर करना राजनीति से प्रेरित है। पंजाब के साथ हुए इस अन्याय को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली राज्य सरकार यह भेदभाव का मुद्दा बीसीसीआई के समक्ष उठाएगी।
विदेश के पर्यटकों ने पंजाब आना था
खेल मंत्री ने आगे कहा कि जहां एक ओर मोहाली में एक अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है वहीं दूसरी ओर शहर में टीमों के ठहरने के लिए बेहतर बुनियादी ढांचा और पर्याप्त होटल भी हैं। मोहाली में मैच आयोजित होने से खेल पर्यटन को बढ़ावा मिलना था तथा खेलों से जुड़े देश और विदेश के पर्यटकों ने पंजाब आना था, जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था को और मजबूती मिलती।