Punjab News: पंजाब में पिछले दिनों एक मामला सामने आया था, पता लगा था कि दो साल से एक मिनिस्टर बिना विभाग के ही काम कर रहे थे। मामला प्रशासनिक सुधार विभाग का था, जिसकी जिम्मेदारी कुलदीप धालीवाल उठा रहे थे, लेकिन यह डिपार्टमेंट अस्तित्व में ही नहीं था। इसको लेकर पंजाब सरकार की खूब किरकिरी हुई थी। अब एक और हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जो ट्रांसफर के फर्जी आदेश से रिलेटेड है। सोशल मीडिया पर फर्जी ट्रांसफर लेटर वायरल हो रहा था, जिसे कर्मचारी असली समझ बैठे और इस पर अमल करना शुरू कर दिया। इस लेटर में 57 डेटा एंट्री ऑपरेटरों, क्लर्कों और सेवादारों के नाम थे। इस आदेश को जिला शिक्षा अधिकारियों ने अमल में लाना शुरू कर दिया।
हैरानी की बात है कि औपचारिक तौर पर ऑर्डर्स का वेट किया जाता है, लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं किया गया। बिना आदेशों की कॉपी आए ट्रांसफर शुरू कर दिए गए। फर्जी आदेश के मुताबिक कर्मचारियों को वहां भेजा जाने लगा, जिसका जिक्र वायरल लेटर में था। स्कूल शिक्षा विभाग के निदेशक को जैसे ही इस मामले की जानकारी मिली, वे हैरान रह गए। उन्होंने तुरंत सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को पत्र जारी कर इसे फर्जी बताया। उन्होंने निर्देश दिए कि किसी भी कर्मचारी का ट्रांसफर विभाग की ओर से नहीं किया गया है। ऐसे में किसी को कहीं भेजने की जरूरत नहीं है।
#Punjab #schooleducation dept under fire after fake transfer orders of 57 clerks, #dataoperators go viral https://t.co/EZAc472AGO
---विज्ञापन---— The Tribune (@thetribunechd) February 27, 2025
अधिकारियों ने आदेशों की पुष्टि क्यों नहीं की?
निदेशक ने बुधवार को जानकारी दी कि कुछ शिक्षा अधिकारी फर्जी आदेश के आधार पर कर्मचारियों के ट्रांसफर की कवायद शुरू कर चुके थे। इसके बाद विभाग के महानिदेशक की ओर से भी स्कूलों को आदेश जारी किए गए कि अभी किसी भी कर्मचारी का ट्रांसफर नहीं किया गया है। ऐसा कोई आदेश आधिकारिक ईमेल पर ही जारी किया जाता है। इस लेटर पर भरोसा न करें। अब सवाल उठ रहे हैं कि शिक्षा अधिकारियों ने ऐसे किसी आदेश जारी होने के संदर्भ में विभाग से पुष्टि क्यों नहीं की? बिना जानकारी कैसे कर्मचारियों का तबादला किया जाने लगा?
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