माता-पिता बनना हर दंपत्ति का सपना होता है, लेकिन आज की तेज रफ्तार और मॉडर्न लाइफस्टाइल की वजह से कई दंपत्तियां इस सुख से वंचित हैं। इसके पीछे कई मेडिकल कॉम्प्लिकेशन भी होती हैं, जो संतान सुख में बाधा बनती हैं। नतीजा यह है कि देश में इनफर्टिलिटी यानी बांझपन की समस्या लगातार बढ़ती रही है।
मुंबई के दो सरकारी अस्पताल
इसी बढ़ती मांग के चलते प्राइवेट इनफर्टिलिटी क्लीनिकों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। लेकिन इन निजी क्लीनिकों में इलाज की लागत लाखों में होती है, जो कि आम आदमी की पहुंच से बाहर है। ऐसे में मुंबई के सरकारी अस्पताल उन दंपत्तियों के लिए आशा की किरण बनकर उभरे हैं, जो सीमित आर्थिक साधनों के कारण इनफर्टिलिटी का इलाज नहीं करवा पाते।
मुंबई में ऐसे दो सरकारी अस्पताल हैं, जिसमें सायन अस्पताल और कामा अस्पताल शामिल हैं। ये अस्पताल बेहद किफायती दरों पर इनफर्टिलिटी का इलाज उपलब्ध करा रहे हैं। हाल ही में, कामा अस्पताल में IVF (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) टेक्नीक से पहली बार एक महिला ने शिशु को जन्म दिया है। खास बात यह है कि यह प्रोसेस सिर्फ 5,000 में पूरा हुआ।
शादी के 15 साल बाद मिला मां बनने का सुख
35 साल इस महिला की शादी को 15 साल हुई थी, लेकिन वह गर्भधारण नहीं कर पा रही थीं। निजी अस्पतालों में इलाज का खर्च उठाना उसके लिए संभव नहीं था। आखिरकार उन्होंने कामा अस्पताल का रुख किया, जहां लंबे इलाज के बाद उन्होंने मां का सुख पाया।
कामा अस्पताल के सुपरिटेंडेंट और वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. तुषार पालवे ने बताया कि उन्होंने पहले मरीज का पूरी तरह से मूल्यांकन किया, जिसमें हार्मोनल जांच और फॉलिकुलर स्टडी शामिल थी। इसके बाद उन्हें ओवुलेशन इंजेक्शन दिए गए और पहले ही प्रयास में गर्भधारण हो गया।
500 से अधिक महिलाओं का पंजीकरण
कामा अस्पताल में पिछले साल ही इनफर्टिलिटी सेंटर की शुरुआत की गई थी। अब तक इस अस्पताल में 500 से अधिक महिलाएं इलाज के लिए पंजीकरण कर चुकी हैं। वहीं, ओपीडी में लगभग 3500 से अधिक मरीजों की जांच की जा चुकी है। वहीं, सायन अस्पताल में भी इस तरह की सुविधा पहले से उपलब्ध है। सायन अस्पताल में भी कई जरूरतमंद दंपत्तियों को राहत मिल रही है।
आईवीएफ प्रक्रिया कैसे होती है?
- सबसे पहले महिलाओं को हार्मोनल दवाइयां दी जाती हैं ताकि अंडाणु बन सकें।
- अल्ट्रासाउंड (फॉलिकुलर मॉनिटरिंग) के ज़रिए यह सुनिश्चित किया जाता है कि अंडा ठीक से विकसित हो रहा है या नहीं।
- अंडा परिपक्व होने पर HCG इंजेक्शन दिया जाता है जिससे वह अंडाशय से निकल सके।
- इसके बाद अंडाणु और शुक्राणु को लैब में मिलाया जाता है और विकसित भ्रूण को गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है।
हजारों दंपत्तियों के लिए उम्मीद की किरण
सरकारी अस्पतालों द्वारा दी जा रही यह सस्ती सेवा उन हजारों दंपत्तियों के लिए उम्मीद की नई किरण है, जो माता-पिता सुख पाना चाहते हैं। हालांकि अभी भी देशभर में इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट के क्षेत्र में सरकारी सुविधाएं सीमित हैं, लेकिन पिछले दो सालों में पब्लिक हेल्थ सिस्टम ने IVF जैसी सेवाओं को सस्ती और सुलभ बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।