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पांच साल में दो करोड़ खर्चे, फिर भी कुत्तों के काटने के चर्चे, महज 23 दिनों में डॉग बाइट के केस 500 के करीब

Dog Bite Case Increase In Gwaliour: आवारा कुत्तों को पकड़ने और उनकी नसबंदी करने पर पांच साल में दो करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं, फिर भी शहर में आवारा कुत्तों का आतंक कम नहीं हो रहा है। ऐसे में सवाल यही है, आखिर कब तक ग्वालियर में आवारा कुत्तों का आतंक रहेगा।

Edited By : Swati Pandey | Updated: Nov 24, 2023 22:53
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कर्ण मिश्रा

Dog Bite Case Increase In Gwaliour:  मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में इन दिनों आवारा कुत्तों का आंतक है। हालत ये है कि रोजाना तकरीबन 50 लोग खून और कटे-फटे घाव लेकर अस्पताल पहुंच रहे हैं। आपको जानकर हैरानी होगी यह किसी लड़ाई झगड़ा या चोट के निशान नहीं है। बल्कि यह शहर में घूम रहे आवारा कुत्तों के काटने से घायल हुए लोग हैं। शहर में आवारा कुत्तों का आतंक बहुत बढ़ गया है। इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि महज 23 दिनों में 494 केस अब तक जिला अस्पताल में इलाज के लिए पहुंच चुके हैं।

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कुछ केस स्टडी जो डॉग बाइट का शिकार

ग्वालियर के सौंसा में देखने को मिला, जहां घर के बाहर खेल रहे 11 साल के बच्चे नकुल पर कुत्तों के एक झुंड ने हमला कर दिया। कुत्तों द्वारा उनका आधा होंट काट दिया गया। उसके अलावा कई जगह औऱ काटा। इस दौरान नकुल काफी डरा सहमा नजर आ रहा था।

एक मासूम बच्ची पर भी कुत्तों ने हमला कर उसकी हालत खराब कर दी थी। चेहरे पर कई जगह दांतों के निशान और कनपटी से मांस तक नोच लिया गया था। जिसे देखने में ही भयावह लग रहा था। बताया जा रहा है कि अब मासूम अपने घर से निकलने में भी डर महसूस करती है।

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सॉफ्ट टारगेट घर के बाहर खेल रहे बच्चे

कुत्तों द्वारा सबसे सॉफ्ट टारगेट घर के बाहर खेल रहे बच्चे या बुजुर्ग होते हैं। जो उनसे लड़ नहीं पाते,जिससे वो उनको अपना आसान शिकार बना रहे है, लेकिन इन सबके बीच आम आदमी कुत्तों के आंतक से परेशान है,वो कह रहा है, शहर में अब कुत्ते हिसंक हो गए हैं, लेकिन उनको पकड़ने के लिए नगर निगम ओर स्वास्थ्य विभाग कोई कदम नही उठा रहा है।

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जिम्मेदारी से बच रहा है स्वास्थ्य विभाग

ग्वालियर के  सीएमएचओ डॉ आरके राजौरिया ने बताया कि रोजाना ग्वालियर शहर के लोग कुत्तों के काटने से गंभीर रूप से घायल हो रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ ग्वालियर में लगभग दो माह पहले बंद हो चुके कुत्तों की नसबंदी सेंटरों को अब तक शुरू करने की कोई भी कवायत सामने नहीं आ रही है। मेडिकल ट्रीटमेंट की बात की जाए तो इनके बर्थ कंट्रोल पर भी काम नहीं हो पा रहा है, जिससे इनकी आबादी दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।

ऐसे में आवारा कुत्तों के बच्चों को अगर कोई खिलाने बच्चा या बुजुर्ग भी जाता है। तो यह कई बार आक्रामक होकर उसे पर हमला बोल देते हैं और घायल कर देते हैं। इसके साथ ही कुत्तों के मामले में स्वास्थ्य विभाग भी अपनी जिम्मेदारी से बच रहा है, वो कह रहा है, हमारा काम इलाज करना है, इंजेक्शन उपलब्ध करा रहे है,लेकिन कुत्तों को पकड़ने का काम नगर निगम का है, जो सामने नही आ रहा है।

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Written By

Swati Pandey

First published on: Nov 24, 2023 10:52 PM

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