मध्य प्रदेश की पहली और देश की दूसरी ‘फ्रूट वेजिटेबल लैब’ बनने जा रही है। यह कीटनाशक अवशेष लैब ग्वालियर के राजमाता विजयाराजे कृषि यूनिवर्सिटी के अंतर्गत आने वाले खंडवा कृषि विश्वविद्यालय में बनेगी, जहां फल और सब्जियों में कीटनाशक इस्तेमाल के स्तर की जांच होगी। इसके जरिए भविष्य की योजनाएं भी साइंटिस्ट तैयार करेंगे। इस लैब के लिए प्रदेश सरकार ने 2 करोड़ 76 लाख रुपए का बजट प्रावधान किया है।
देश प्रदेश में सब्जियों-फलों के रकबे के साथ प्रोडक्शन बढ़ा है। इसके पीछे बड़ा कारण फल-सब्जियों में कीटनाशक का ज्यादा इस्तेमाल किया जाना भी है। ज्यादा उत्पादन से किसानों को तो फायदा हो रहा है, लेकिन ज्यादा कीटनाशक के उपयोग से कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां भी हो रही हैं। ऐसे में फल-सब्जी उत्पादन में बढ़ रहे कीटनाशक के स्तर का आकलन करने के साथ ही उससे होने वाले नुकसान को पहचानने के लिए फ्रूट वेजिटेबल कीटनाशक अवशेष लैब का निर्माण शुरू हो गया है।
कितने करोड़ की लागत से बनेगी लैब
प्रदेश की पहली और देश की दूसरी अत्याधुनिक लैब लगभग 3 करोड़ रुपये की लागत से बनने जा रही है। अभी सिर्फ गुजरात के आनंद कृषि यूनिवर्सिटी में यह लैब है। इस लैब में 5 एक्सपर्ट काम करेंगे, लेकिन शुरुआती दौर में 2 एक्सपर्ट वैज्ञानिकों की नियुक्ति कर दी गई है और भविष्य में 3 अन्य साइंटिस्ट अपॉइंट किए जाएंगे। सबसे पहले सब्जी मंडियों से सैंपल लेकर उन पर रिसर्च और टेस्टिंग की जाएगी।
रिसर्च और स्टडी कर सकेंगे छात्र
यूनिवर्सिटी से जुड़े किसी भी कैंपस और कॉलेज के स्टूडेंट इस लैब से रिसर्च और स्टडी कर सकते हैं। इनमें खास तौर से क्लोरीनेटेड हाइड्रोकार्बन और ऑर्गेनिक फास्फेट होते हैं, जिनका सीधा असर किडनी और लीवर पर पड़ता है। लैब के लिए मध्य प्रदेश शासन की ओर से 2 करोड़ 76 लाख रुपए का बजट प्रावधान किया गया है।
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