विपिन श्रीवास्तव, भोपाल: प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना और मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा योजना के तहत पीडीएस दुकानों गरीबों को बंटने वाले राशन में गड़बड़ी का खुलासा होते ही खाद्य विभाग ने भोपाल फूड कंट्रोलर समेत 15 अफसरों को सस्पेंड कर दिया है। इसके अलावा 4 अफसरों को चार्जशीट सौंपी गई है। इतना ही नहीं राशन वितरण में घोटाले की जांच का जिम्मा विभाग ने जिस सहायक संचालक को सौंपा था उस पर भी घोटाला दबाने पर एक्शन लिया गया है।
क्रॉस चेकिंग में खुली पोल
जांच में पाया गया है कि गरीबों को बांटे जाने वाले राशन की जांच के लिए 13 अक्टूबर 2022 को संचालनालय स्तर के अफसरों की ड्यूटी लगाई गई। इन अफसरों ने भोपाल के फील्ड के अफसरों को बचाने के लिए जो रिपोर्ट सौंपी इसमें किसी तरह की अनियमितता नहीं होने की रिपोर्ट शामिल थी। इसके बाद क्रॉस चेकिंग का खुलासा हो गया और जांच रिपोर्ट में क्लीनचिट देने करप्शन दबाने के मामले में संचालनालय के अफ़सर भी निलंबित किए गए हैं।
इन अफसरों को किया सस्पेंड
भोपाल के जिन अफसरों को सस्पेंड किया गया है, उनमें भोपाल की जिला आपूर्ति नियंत्रक रही ज्योति शाह नरवरिया, सहायक आपूर्ति अधिकारी संतोष उइके, कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी विनय सिंह, प्रताप सिंह, सत्यपाल सिंह जादोन, सहायक आपूर्ति अधिकारी दिनेश अहिरवार, एलएस गिल शामिल हैं।
इसके अलावा घोटाले की जांच करने मे अनियमितता करने वाले संचालनालय के सहायक आपूर्ति अधिकारी अनिल तंतुवाय, कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी सौरभ जैन, सहायक संचालक अनिल तिवारी, कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी सुरेश गुर्जर, सहायक आपूर्ति अधिकारी राजेश खरे, कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी अंकित हंस, शरद पंचोली, आशीष तोमर को सस्पेंड किया गया है।
यहां सौंपी गई चार्जशीट
खाद्य विभाग के संचालक दीपक सक्सेना ने आदेश जारी करते हुए आपूर्ति अधिकारी राजगढ़ जसराम जाटव, कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी संचालनालय मयंक चंदेल, सहायक आपूर्ति अधिकारी संचालनालय सय्यद परवेज नकवी, कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी संचालनालय रामकन्या कच्छावा को चार्जशीट सौंपी है।
दरअसल, राशन वितरण में फर्जीवाड़ा रुकवाने के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने ऑनलाइन पीओएस मशीन लोगों के आधार लिंक और थंब इंप्रेशन को जरूरी किया, बावजूद इसके भोपाल में गरीबों के अनाज की कालाबाजारी की शिकायतें की गई थी। साथ ही राशन चोरी की शिकायतें भी लगातार हो रही थी।
इसके बाद खाद्य विभाग के संचालक दीपक सक्सेना ने पूरे शहर में 12 टीमें बनाकर 24 अफसरों को शहर की 70 दुकानों में पहुंचा कर जांच कराई, जिसके बाद ये खुलासा हुआ और अफसरों को निलंबित कर दिया गया।