ASI Report On Bhojshala : आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) ने सोमवार को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच के सामने विवादित भोजशाला-कमाल-मौला मस्जिद परिसर को लेकर 2000 पन्नों की साइंटिफिक सर्वे रिपोर्ट पेश कर दी। हिंदू पक्ष इसे वाग्देवी मंदिर मानता है और मुसलमान कमाल मौला मस्जिद। 22 मार्च को इसका सर्वे शुरू हुआ था। 7 अप्रैल 2003 को अदालत ने आदेश दिया था कि हिंदुओं को मंगलवार को और मुसलमानों को शुक्रवार को पूजा करने की अनुमति दी थी। हिंदू पक्ष ने इस फैसले को चुनौती दी है। इस खास रिपोर्ट में जानिए यह पूरा विवाद क्या है, एएसआई की रिपोर्ट में क्या-क्या पाया गया है और क्या यह केस भी वाराणसी के ज्ञानवापी जैसा ही हो सकता है।
BIG BREAKING NEWS 🚨 ASI’s report on Bhojshala-Kamal Maula Mosque disputed complex out. It hints at its temple origins 🔥🔥
---विज्ञापन---REPORT MENTIONS –
’94 sculptures and fragments found depicting figures of Hindu deities’
---विज्ञापन---‘Several pieces found feature Sanskrit and Prakrit inscriptions’… pic.twitter.com/HyEX6RJNzZ
— Times Algebra (@TimesAlgebraIND) July 15, 2024
हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने 11 मार्च को एएसआई को सर्वे करने का आदेश दिया था। 22 मार्च को सर्वे की शुरुआत हुई थी जो 28 जून तक चला। इस दौरान 1700 से ज्यादा पुरातत्विक अवशेष मिले जिनमें हिंदू देवी-देवताओं की कई प्रतिमाएं भी शामिल हैं। हालांकि, अदालत ने आज पेश की गई रिपोर्ट को सार्वजनिक करने पर रोक लगाई है। सभी पक्षों को बंद लिफाफे में रिपोर्ट दी जाएगी। 22 जुलाई को सर्वे की रिपोर्ट पर सुनवाई की जाएगी। सर्वे रिपोर्ट को लेकर एडवोकेट हरि शंकर जैन ने दावा किया कि 94 से ज्यादा टूटी प्रतिमाएं मिली हैं। इन्हें देखकर कोई भी आसानी से बता देगा कि यहां मंदिर हुआ करता था। विवादित स्थल पर पूजा करने का अधिकार केवल हिंदुओं को होना चाहिए, मुसलमानों को नहीं।
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ASI Survey Findings In Bhojshala
एएसआई को सर्वे में क्या-क्या मिला?
एएसआई ने भोजशाला में 500 मीटर के दायरे में वैज्ञानिक सर्वे के दौरान 1700 ज्यादा पुरावशेष बरामद किए हैं। 98 दिन तक चले इस सर्वे के दौरान खुदाई के साथ-साथ फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी कराई गई थी। इस काम में जमीन के नीचे देख सकने वाले रडार और ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम यानी जीपीएस की मदद भी ली गई थी। यहां से एएसआई को भगवान श्रीकृष्ण, जटाधारी शिव, माता पार्वती, ब्रह्मा, हनुमान, गणेश, भैरवनाथ समेत कई देवी देवताओं की प्रतिमाएं मिलीं। एक प्रतिमा जो बहुत खास बताई जा रही है वह वाग्देवी की है। इस खंडित प्रतिमा को उस मूर्ति जैसा बताया जा रहा है जिसे भोजशाला से लंदन ले जाया गया था। हिंदू पक्ष का कहना है अब इसमें कोई शक नहीं रहा कि यहां हिंदू मंदिर था।
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ASI Survey Findings In Bhojshala
हिंदू फ्रंट की याचिका में क्या है दावा?
इस विवाद में हिंदू फ्रंट ऑफ जस्टिस की ओर से दाखिल की गई याचिका में दावा किया गया है कि यह परिसर असल में एक मंदिर था जिसका निर्माण साल 1034 में करवाया गया था। अलाउद्दीन खिलजी के शासनकाल के दौरान 13वीं शताब्दी में यहां मस्जिद बनाई गई थी। याचिका के अनुसार मस्जिद का निर्माण हिंदू मंदिर को नष्ट कर उसके ऊपर कराया गया था। वहीं, मुस्लिम पक्ष का दावा है कि मौला कमालुद्दीन चिश्ती की ओर से किसी भी तरह के पूजा के स्थल को नष्ट नहीं किया गया था। मुसलमानों का कहना है कि एएसआई ने साल 1902 में अपने रिकॉर्ड्स में कमाल मौला मस्जिद का उल्लेख किया था। उल्लेखनीय है कि पिछले करीब 2 दशक से भोजशाला के इस परिसर को लेकर विवाद चलता आ रहा है।