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Jharkhand News : अब पारसनाथ पहाड़ी पर पशु बलि अधिकार के लिए आंदोलन, जेएमएम विधायक ने कह दी ये बात

विवेक चन्द्र, रांची: जैन धर्मावलंबियों के पवित्र सम्मेद शिखर कहे जाने वाले पारस नाथ पहाड़ी को लेकर विवाद थमता नहीं दिख रखा है। पहले जहां जैन धर्म के अनुयायियों द्वारा इसे पर्यटन स्थल बनाने का विरोध देश भर में हुआ और इसके बाद केंद्र सरकार ने इस प्रस्ताव पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी, […]

Edited By : Rakesh Choudhary | Updated: Jan 7, 2023 13:07
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SAMMED SHIKHAR IMAGE

विवेक चन्द्र, रांची: जैन धर्मावलंबियों के पवित्र सम्मेद शिखर कहे जाने वाले पारस नाथ पहाड़ी को लेकर विवाद थमता नहीं दिख रखा है। पहले जहां जैन धर्म के अनुयायियों द्वारा इसे पर्यटन स्थल बनाने का विरोध देश भर में हुआ और इसके बाद केंद्र सरकार ने इस प्रस्ताव पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी, लेकिन अब इस पहाड़ी को लेकर विभिन्न आदिवासी संगठन आगे आकर इसे आदिवासियों का मरांग बुरु मान कर यहां पशु बलि का अधिकार मांग रहे हैं। इस मांग को लेकर मरांग बुरु संथाल आदिवासी संगठन की ओर से जेएमएम के विधायक लोबिन हेम्ब्रम ने एक पीसी की और पारसनाथ पहाड़ी को आदिवासियों के देवता मरांग बुरू बताते हुए यहां पशु बलि की इजाज़त सरकार से मांगी है। ऐसा न होने पर उन्होंने एक बड़े आंदोलन की चेतावनी भी दी है।

हेम्ब्रम ने जैन समाज पर लगाया यह आरोप

विधायक लोबिन हेम्ब्रम ने कहा आज यह हाल क्यों हुआघ् उस जगह पर वर्षों से आदिवासी समाज के लोग रह रहे है। लेकिन उस 10 किलोमीटर की परिधि में बलि चढ़ाने से उन्हें रोका जा रहा है। यहाँ तक कि जंगलों से लकड़ी तक नहीं काटने दी जा रही है। जमीन हमारी पहाड़ हमारे और कब्जा किसी और का यह अब नहीं चलेगा।

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जैन धर्म का सम्मान पर नहीं होने देंगे कब्जा

जेएमएम विधायक लोबिन हेंब्रम ने यह भी कहा कि जैन धर्म के लोगों का वहां सभी सम्मान करते है लेकिन कब्जा नहीं करने देंगे ।वह हमारा मरांग बुरु पहाड़ है। इस मामले में मुख्यमंत्री से मांग की जाएगी।अब समय आ गया है कि इस मुद्दे पर केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ बड़ा आंदोलन किया जाए। लोबिन ने कहा कि अब पानी सर से ऊपर चला गया है। उन्होंने कहा कि गिरिडीह में नग्न हो कर जैन मुनि घूमते है, जिससे हमारी बेटी बहु सर झुका कर चलने को मजबूर है। लेकिन कभी भी इस मामले पर किसी ने सवाल नहीं उठाया। उनकी धार्मिक भावनाओं को देखते हुए उनका सम्मान किया है। पारसनाथ पहाड़ी पर आज जैन धर्म वालों ने कब्जा कर लिया है।

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10 जनवरी को आदिवासियों का महाजुटान

आदिवासी संगठन के प्रतिनिधियों ने कहा कि अब सरकार पारसनाथ को मरांग बुरु स्थल घोषित करें। 25 जनवरी तक इस मामले का समाधान नहीं निकला तो 30 जनवरी से बिरसा मुंडा की जन्मस्थली उलिहातू में हम सब उपवास पर बैठेंगे। 10 जनवरी को पारसनाथ पहाड़ी के पास हजारों की संख्या में लोग जुटेंगे और सरकार को एक संदेश देंगे।

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हमारी पूजा में बलि की प्रथा

आदिवासी संगठन के नेताओं का कहना है कि हमारी पूजा में बलि दी जाती है और उस पहाड़ी पर जैन धर्म के लोगों के द्वारा बलि देने से रोका जा रहा है। अगर केंद्र और राज्य सरकार नहीं जागी तो झारखंड, उड़ीसा सहित नेपाल में एक साथ भूचाल आएगा।

कौन हैं मरांग बुरु

दरअसल आदिवासी समाज के लोग कुछ पहाड़ियों की पूजा करते हैं और इन्हें मरांग बुरुएलुगु बुरुएअयोध्या बुरु आदि नामों से पुकारते हैं। आदिवासियों के अनुसार इन पहाड़ियों के खास सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मायने हैं । आदिवासी समुदाय इस पहाड़ों पर अपनी पारंपरिक पूजा पद्धति द्वारा पूजा करते हैं।

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Written By

Rakesh Choudhary

First published on: Jan 07, 2023 10:39 AM

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