मावल: कभी से एक कहावत प्रचलित है कि जुगाड़ के मामले में भारतीयों का कोई तोड़ नहीं। यह बात ऐसे ही प्रचलित नहीं हुई। इसके पीछे कारण है यहां के हर अनपढ़ में एक इंजीनियर जितना दिमाग होना। ऐसे बहुत से वाकये आ चुके हैं, वहीं अब महाराष्ट्र का एक किसान खासा चर्चा में है। पता चला है कि जिसकी एक साइकल तक खरीदने की गुंजाइश नहीं, वह अब चार चक्कों वाली एक विंटेज कार में चलता है। बड़ी बात यह है कि उसने यह कबाड़ पर जुगाड़ लगाकर मुमकिन किया है और अब उसकी अनूठी कार को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आ रहे हैं।
बचपन से ही मिट्टी की झोपड़ी में रहे नवघन तालुका के जम्बुलवाड़ी गांव निवासी रोहिदास ने बताया कि वह भी एक आम मिडल क्लास की तरह सोचते थे कि उसके पास एक चारपहिया कार हो, लेकिन यह सब सपना ही था। अब यह हकीकत में बदल चुका है। हुआ यूं कि एक बार वह दिल्ली गए तो एक ई-रिक्शा को देखकर उन्होंने अपने सपनों की सामी विंटेज कार बनाने का फैसला किया। इसके लिए उन्होंने गांव के कबाड़ी की दुकान से कई उपयोगी एवं अनुपयोगी उपकरण एकत्रित किए।
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रोहिदास ने पहले कागज के एक टुकड़े पर अपनी सपनों की कार का चित्र बनाया और यहीं से शुरू हुआ नवघन का कार बनाने का सफर…। खास बात यह है कि रोहिदास नवघन ने इंजीनियरिंग या आईटीआई जैसी कोई तकनीकी शिक्षा नहीं ली है। वह महज 10वीं पास किसान हैं, लेकिन उन्होंने अपने भाई, बच्चों और एक दोस्त की मदद से महज डेढ़ महीने में अपने सपनों की यह विंटेज कार तैयार कर ली है, जिसके लिए उन्होंने सिर्फ 1.5 लाख रुपए खर्च किए।
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रोहिदास द्वारा डिजाइन की गई यह कार बैटरी से चलने वाली है। इसमें पांच बैटरियां लगाई गई हैं। तो कार 100 किलोमीटर तक आराम से चलती है। कार को चार्ज करने में महज 5 से 6 घंटे का समय लगता है। इस किसान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई मेक इन इंडिया और ई-कार की अवधारणा को मावल के किसान रोहिदास नवघन ने साकार कर दिया है।
अब दशहरे के मौके पर रोहिदास नवघने ने कार की पूजा की और उसे सड़क पर खड़ा किया. किसान रोहिदास नवघन अपने बचपन का सपना पूरा होने से बहुत खुश हैं। फिलहाल इस कार की चर्चा पूरे पुणे जिले में हो रही है. सड़क पर कार में यात्रा कर रहे इस किसान ने सेंट तुकोबा जाने का फैसला किया और इस कार से लोनावला में कार्ला गढ़ को पार किया।