Haryana Assembly Election 2024: हरियाणा में विधानसभा चुनाव का ऐलान हो चुका है। 1 अक्टूबर को वोट डाले जाएंगे। वहीं, 4 अक्टूबर को नतीजों का ऐलान किया जाएगा। हरियाणा की राजनीति में एक मुहावरा है। ‘आया राम गया राम’ का यह मुहावरा हरियाणा की राजनीति में 44 साल पहले गढ़ा गया था। पुरानी पीढ़ी के लोग इसके बारे में जानते हैं। नई पीढ़ी को इसके बारे में बताते हैं। 1979 में हरियाणा में राजनीतिक अस्थिरता का माहौल था। चौ. देवीलाल की सरकार थी। लेकिन तब सरकार में शामिल मंत्री भजनलाल ने ऐसा दांव चला कि वे सीएम बन गए और देवीलाल की सरकार गिर गई।
40 विधायकों को देवीलाल ने किया था नजरबंद
विधायकों की उठापटक की कहानी इतिहास में दर्ज हो गई। बताया जाता है कि देवीलाल ने अपने 40 विधायकों को नजरबंद कर लिया था। घर को किले में तब्दील कर दिया था। विधायकों को दूसरों से तो क्या? अपने परिवार से मिलने के लिए भी इजाजत लेनी पड़ रही थी। भजनलाल मंत्री थे। उनके आने-जाने पर रोक नहीं थी। जिन्होंने चुपचाप विधायकों को साध लिया था। बताया जाता है कि विधायक रातभर जागते थे। भजनलाल ने उन्हें रातोंरात अपने पक्ष में कर लिया था। जिसके बाद चुपचाप वे सीएम बन गए।
1980 में हुआ था बड़ा तख्तापलट
1977 में इमरजेंसी के बाद जनता पार्टी की सरकार बनी थी। 1980 में केंद्र में कांग्रेस की सरकार इंदिरा गांधी के नेतृत्व में बनी। भजनलाल इसके बाद चुपचाप 40 विधायकों को लेकर कांग्रेस में शामिल हो गए और खुद सीएम बन गए। पहली बार देश में इतना बड़ा दलबदल हुआ। इसके बाद भी राजनीतिक अस्थिरता बनी रही। 90 के अंत तक कभी देवीलाल की सरकार बनती तो कभी भजनलाल की। मीडिया ने इसे दो लालों की पॉलिटिकल फिक्सिंग करार दिया था।
यह भी पढ़ें:…जब ताऊ देवीलाल ने गवर्नर को जड़ दिया था थप्पड़, सन्न रह गए थे लोग
जब पहली बार भजनलाल ने तख्ता पलट किया, तब एक विधायक गया लाल थे। जो भजनलाल के करीबी थे। उस समय भजनलाल के ऊपर पंचकूला में विधायकों को प्लॉट बांटे जाने के आरोप लगे थे। बताया जाता है कि उस समय गया लाल ने 15 दिन के भीतर 3 पार्टियां बदली थी। उनके ऊपर दो प्लॉट लिए जाने के आरोप लगे थे। इसके बाद हरियाणा में ‘आया राम गया राम’ का मुहावरा आम हो गया था।
यह भी पढ़ें:इन 5 परिवारों का रहा हरियाणा की सियासत में दबदबा, पोते-पोतियों ने संभाली दादा की विरासत
यह भी पढ़ें:दो सीएम, चार बार उपचुनाव; जानिए 5 साल में कितनी बदली हरियाणा की राजनीति?