Morbi Bridge Collapse: गुजरात के मोरबी जिले में माछू नदी में रविवार शाम झूला पुल गिरने से अब तक 141 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि कई अन्य घायल बताए जा रहे हैं। सेना, एनडीआरएफ की टीमों ने अब तक 177 लोगों को बचाया है।
1879 में हुआ था इस ब्रिज का निर्माण
इस ब्रिज का उद्घाटन 20 फरवरी 1879 को मुंबई के गवर्नर रिचर्ड टेम्पल ने किया था। उस समय यह ब्रिज लगभग 3.50 लाख की लागत से 1880 में बनकर तैयार हुआ था। उस समय पुल सामग्री इंग्लैंड से आई थी। यह पुल दरबारगढ़ को नजरबाग से जोड़ने के लिए बनाया गया था। मोरबी का यह ब्रिज 140 साल से भी ज्यादा पुराना है। यह ब्रिज गुजरात के मोरबी ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए ऐतिहासिक धरोहर है।
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पुल 765 फीट लंबा और साढ़े चार फीट (4.6 फीट) चौड़ा है। 1887 में जब पुल का निर्माण किया गया था, तब यह जमीन से 60 फीट ऊपर था।
43 वर्ष बाद मोरबी की सबसे बड़ी दुर्घटना
11 अगस्त 1979 को मोरबी में मछु बांध टूटने से आये जल प्रलय में 2000 से ज्यादा लोगों की जान गई थी। अब करीब 43 वर्ष बाद ये बड़ी दुर्घटना हुई है। यह पुल एक पुराने डिजाइन का था, जिस पर अधिकतम 100 लोगों की क्षमता को उठाया जा सकता है, सरकार के जानकार अधिकारी इसकी पुष्टि कर रहे हैं।
जब दुर्घटना घटी तब पुल पर लगभग 400 ज्यादा लोगों के होने का अनुमान है। अगर हम किसी व्यक्ति के 60 किलो के औसत वजन को ध्यान में रखें तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि उस समय पुल पर वजन 30 हजार किलो या 30 टन था।
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राहत कार्यों में जुटी सेना और एनडीआरएफ की टीमें
बचाव एवं राहत कार्यों में नौसेना के 50 कर्मियों और वायु सेना के 30 कर्मियों के साथ एनडीआरएफ की 3 टीम ओर सेना के दो कंपनी और फायर ब्रिगेड की 7 टीमें जिस में राजकोट, जामनगर, दीव और सुरेंद्रनगर से उन्नत उपकरणों के साथ मोरबी के लिए रवाना हुई हैं। एसडीआरएफ के साथ-साथ एसआरपी के 3। बचाव एवं राहत कार्यों के लिए मोरबी की दो प्लाटून भी पहुंच रही है।इतना ही नहीं इलाज के लिए राजकोट सिविल अस्पताल में आइसोलेशन वार्ड भी बनाया गया है।
रिपोर्ट- ठाकुर भूपेंद्र सिंहअभीपढ़ें– देश से जुड़ी खबरें यहाँ पढ़ें