Gujarat Assembly Election: केंद्र सरकार ने सोमवार (31 अक्टूबर, 2022) को एक अधिसूचना जारी कर गुजरात में पड़ोसी देश अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आने वाले अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का फैसला किया है। वर्तमान में गुजरात के दो जिलों में पड़ोसी देशों से आए अल्पसंख्यक हिंदु, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइ रह रहे हैं। यह फैसला नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत लिया गया है।
गृह मंत्रालय की आधिकारिक अधिसूचना के अनुसार, गुजरात के दो जिलों आनंद और मेहसाणा में पड़ोसी मुल्कों से आकर रहने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई को धारा 5 के तहत भारत के नागरिक के रूप में पंजीकरण करने की अनुमति दी जाएगी। या नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 6 के तहत और नागरिकता नियम, 2009 के प्रावधानों के अनुसार देशीयकरण का प्रमाण पत्र दिया जाएगा। इन दोनों जिलों में रहने वाले ऐसे लोगों को अपना आवेदन ऑनलाइन जमा करना होगा, जिसे बाद में सत्यापित किया जाएगा।
अधिसूचना में कहा गया है कि पूरी प्रक्रिया को पूरा करने के बाद कलेक्टर आवेदक की उपयुक्तता से संतुष्ट होकर पंजीकरण या देशीयकरण द्वारा व्यक्ति को भारत की नागरिकता प्रदान करेगा और पंजीकरण या देशीयकरण का प्रमाण पत्र जारी करेगा।
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बता दें कि ये पहली बार नहीं है जब जिलाधिकारियों या कलेक्टरों को ऐसी शक्तियां सौंपी गई हैं। इसी तरह के आदेश गृह मंत्रालय द्वारा 2016, 2018 और 2021 में भी जारी किए गए थे, जिसमें गुजरात, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और छत्तीसगढ़ के कई जिलों में डीएम को वैध दस्तावेजों पर भारत में प्रवेश करने वाले छह समुदायों के प्रवासियों को नागरिकता प्रमाण पत्र देने का अधिकार दिया गया था।
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