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Delhi Poster War पर आप नेता गोपाल राय का बड़ा बयान, कहा- अभी तो 22 राज्यों में 11 भाषाओं में पोस्टर लगाएगी ‘आप’

नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी ‘मोदी हटाओ-देश बचाओ’ अभियान में और तेजी लाने के लिए इससे देश भर के छात्रों को भी जोड़ेगी। आम आदमी पार्टी के दिल्ली प्रदेश संयोजक गोपाल राय ने गुरुवार को बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि ‘मोदी हटाओ – देश बचाओ’ अभियान से छात्रों को भी जोड़ा जायेगा। इसके […]

Edited By : Amit Kasana | Updated: Mar 10, 2024 19:16
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नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी ‘मोदी हटाओ-देश बचाओ’ अभियान में और तेजी लाने के लिए इससे देश भर के छात्रों को भी जोड़ेगी। आम आदमी पार्टी के दिल्ली प्रदेश संयोजक गोपाल राय ने गुरुवार को बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि ‘मोदी हटाओ – देश बचाओ’ अभियान से छात्रों को भी जोड़ा जायेगा। इसके लिए आम आदमी पार्टी आगामी 10 अप्रैल को देशभर की यूनिवर्सिटी में ‘मोदी हटाओ-देश बचाओ’ का पोस्टर लगाएगी। बता दें पार्टी ने शहीद दिवस पर जंतर मंतर पर एक सभा करके ‘मोदी हटाओ-देश बचाओ’ अभियान के शुरुआत की घोषणा की थी।

22 राज्यों में हिंदी, अंग्रेजी, मराठी, पंजाबी, मलयालम, उड़िया में लगेंगे पोस्टर

गोपाल राय ने आगे कहा कि देश भर के 22 राज्यों में हिंदी, अंग्रेजी, मराठी, पंजाबी, मलयालम, उड़िया, कन्नड़, बांग्ला, गुजराती, उर्दू और तेलुगु भाषाओं में ‘मोदी हटाओ-देश बचाओ’ के पोस्टर लगाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार पूरे विपक्ष को दबाकर भारत को अपने मुट्ठी में करना चाहती है लेकिन सत्ता और संस्थाएं किसी की ज़िद्द पूरी करने के लिए नहीं होती हैं। आज देश का संविधान और लोकतंत्र खतरे में हैं। इसे बचाना है तो प्रधानमंत्री मोदी को हटाना बहुत जरूरी है।

4 कानूनों में समेट दिया गया

गोपाल राय ने कहा कि देश के अंदर किसानो से प्रधानमंत्री ने वादा करके धोखा दिया , जिसकी वजह से किसानो के अंदर नाउम्मीदी पैदा हुई है। देश के अंदर मजदूरों के लिए जो भी क़ानून थे, उन्हें 4 कानूनों में समेट दिया गया। देश के छात्रों का सभी यूनिवर्सिटियों में दमन किया गया। देश के नौजवान जिस तरह से बेरोज़गारी की वजह से दर दर भटक रहे है और महिलाएँ महंगाई की मार को झेल रही है।

भारत के अंदर निष्पक्ष जांच प्रणाली के विश्वास को तोड़ रही 

गोपाल राय ने कहा कि भारत के अंदर स्वतंत्र एजेन्सिया बनाई गई ताकि किसी भी चीज़ की निष्पक्ष जांच की जा सके और न्यायलय अपना स्वतंत्र निर्णय ले सके। लेकिन जिस तरह से एजेंसियो की स्वतंत्रता को ख़त्म करके अपनी मुट्ठी में करने की कोशिश हो रही है, यह भारत के अंदर निष्पक्ष जांच प्रणाली के विश्वास को तोड़ रही है। भारत की न्यायपालिका के ऊपर भी जिस तरह से दबाव बनाने की कोशिश की जा रही है।

 

(Alrpazolam)

First published on: Mar 30, 2023 03:57 PM

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