रायपुर: बीते चार सालों में सुकमा जिले में बड़े पैमाने पर विकास कार्य किये गये हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़कें जैसी अधोसंरचना मजबूत की गई और सुरक्षा व्यवस्था भी दृढ़ की गई। पहले देर रात सुकमा के लिए जाने में लोगों के मन में आशंका रहती थी। अब लोग निःसंकोच यात्रा करते हैं। यह बात मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सुकमा जिले में वर्चुअल रूप से 303 करोड़ रुपए के लोकार्पण-भूमिपूजन कार्यक्रम के अवसर पर कही। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि दक्षिण भारत से छत्तीसगढ़ में प्रवेश करने पर पहली विधानसभा सुकमा जिले का कोंटा है। हमने यहां सबके सहयोग से सुकमा जिले के विकास के लिए योजनाएं बनाईं और इसे क्रियान्वित किया। इन सालों में यहां बड़ा बदलाव आया है और इसे यहां पहुंचकर महसूस कर सकते हैं। हमने यहां सुरक्षा बेहतर की। जगरगुंडा में 13 साल बाद पुनः स्कूल आरंभ किया।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर 303.67 करोड़ रूपए की लागत के 131 विकास एवं निर्माण कार्यों की सौगात दी, जिसमें 63 करोड़ 56 लाख 27 हजार रूपए की लागत वाले 33 विकास कार्यों का लोकार्पण तथा 240 करोड़ 10 लाख 81 हजार रूपए की लागत वाले 98 विकास एवं निर्माण कार्यों का शिलान्यास शामिल है। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि वे प्रत्यक्ष रूप से लोगों से मिलना चाहते थे लेकिन तेज बारिश की वजह से संभव नहीं हो पाया, इस बात का खेद है लेकिन वर्चुअल रूप से आप लोगों से जुड़ पाया, इस बात का संतोष है। सबसे अच्छी बात यह है कि बारिश हो रही है और हमारे प्रदेश के लिए यह बहुत उपयोगी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भेंट मुलाकात के दौरान मंत्री श्री कवासी लखमा ने सुकमा जिले में विकास कार्यों की जो मांगे रखी थीं, उन पर निर्णय लिये गये और अधोसंरचना की ठोस नींव यहां रखी गई है। आज शिक्षा, स्वास्थ्य, अधोसंरचना से संबंधित बड़े कार्यों का लोकार्पण-भूमिपूजन किया गया है। उन्होंने कहा कि बस्तर फाइटर्स की भर्ती हो या तेंदूपत्ता संग्राहकों के लिए उचित दर हो, सभी विषयों पर हम काम कर रहे हैं।
इस मौके पर आबकारी एवं उद्योग मंत्री श्री कवासी लखमा ने कहा कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में साढ़े चार साल के दौरान प्रदेश में अधोसंरचना विकास के लिए बड़े काम हुए हैं। उन्होंने न केवल कर्जमाफी की और किसानों को धान का उचित मूल्य दिया अपितु प्रति एकड़ 20 क्विंटल धान भी खरीदने का निर्णय लिया। सुकमा जिले में इस वर्ष 50 करोड़ 27 लाख रुपए का तेंदूपत्ता संग्रहित हुआ है जिसका लाभ वनवासियों को मिला है।