Chhattisgarh State Road Safety Review Meeting: छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार द्वारा प्रदेश में विकास कार्यों को तेजी से पूरा किया जा रहा है। वहीं, इस बीच राज्य को कई क्षेत्रों में मजबूत भी किया जा रहा है। हाल ही में छत्तीसगढ़ राज्य सड़क सुरक्षा परिदृश्य के संबंध में समीक्षा बैठक हुई। इस बैठक की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट कमेटी ऑन रोड सेफ्टी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अभय मनोहर सप्रे कर रहे थे। मुख्य सचिव अमिताभ जैन की मौजूदगी में मंत्रालय महानदी भवन में यह बैठक हुई। इस खास बैठक ने सड़क सुरक्षा के लिए राज्य में किए जा रहे कामों की विस्तार से समीक्षा की गई। इस दौरान न्यायमूर्ति अभय मनोहर सप्रे ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य को सड़क सुरक्षा के मामले में आदर्श राज्य बनना होगा।
सड़क सुरक्षा परिदृश्य के संबंध में न्यायमूर्ति अभय मनोहर सप्रे एवं मुख्य सचिव अमिताभ जैन की मौजूदगी में समीक्षा बैठक सम्पन्न हुई। उन्होंने सुगम यातायात के लिए कार्य करने का निर्देश दिया। समीक्षा में देखा गया कि सड़क दुर्घटनाओं में कमी आई है और सजगता में वृद्धि हुई है। pic.twitter.com/u4u6nFQcOO
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सड़क दुर्घटनाओं की संख्या पर न्यायमूर्ति ने जताई चिंता
इस समीक्षा बैठक में न्यायमूर्ति अभय मनोहर सप्रे ने बताया कि देश में हर दिन हो रही सड़क दुर्घटनाओं की संख्या काफी चिंताजनक है। इसी के साथ उन्होंने अधिकारियों को ट्रैफिक मैनेजमेंट से जुड़े सभी जरूरी काम करने के लिए कहा है। इस दौरान न्यायमूर्ति सप्रे ने जापान, जर्मनी, चीन जैसे देशों का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि इन देशों में लाखों सड़क दुर्घटनाएं होने के बावजूद मरने वालों की संख्या बहुत कम है। इसके पीछे की कारण इन देशों का शानदार ट्रैफिक मैनेजमेंट है, जिसे हमें अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें एक आम नागरिक की पीड़ा को समझना होगा।
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बेहतर करना होगा ट्रैफिक मैनेजमेंट
न्यायमूर्ति सप्रे ने आगे कहा कि सड़क हादसे में जिस परिवार के सदस्य की मौत होती है, इसका दर्द सिर्फ वह परिवार ही समझ सकता है। हमें ध्यान रखना होगा कि ट्रक, बस, कार, बाइक, ई-रिक्शा के ड्राइवर ट्रैफिक नियमों का पालन करते हुए ही वाहन चलाएं। ऐसा नहीं होना चाहिए कि वह तेज रफ्तार या शराब का सेवन करके गाड़ी चलाए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि प्रदेश में नगरीय प्रशासन तथा पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग द्वारा सड़क सुरक्षा से जुड़े जरूरी नियमों की जानकारी आम लोगों तक पहुंचानी होगी। इसके लिए लोगों के बीच जागरूकता फैलाने के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन, पुलिस और लोक निर्माण विभाग की मदद ले सकते हैं।