रायपुर: बघेल सरकार की कई योजनाएं आम जन की जिंदगी बदल रही है। कई महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं। छत्तीसगढ़ शासन की महत्वकांक्षी योजना महात्मा गांधी रूरल इंडस्ट्रियल पार्क (रीपा) से यह अब हो रहा है। कबीरधाम जिले में सुराजी गांव का सपना सकारा हो रहा है। जिले के तीन गांवों में गोबर से प्राकृतिक पेट तैयार हो रहा है। कबीरधाम जिले के तीन विकासखण्ड कवर्धा के ग्राम मजगांव, बोडला के ग्राम सिल्हाटी और सहसपुर लोहारा के ग्राम रणवीरपूर में महात्मागंधी की सुराजी गांव का सपना सकारा करते हुए महात्मा गांधी रूरल इंडस्ट्रियल पार्क (रीपा) संचालित हो रही है। यहां ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर आधारित अलग-अलग उद्योग संचालित हो रही है।
लाखों रूपए का आय का जरिया बना पेंट व्यवसाय
रीपा के इस प्लेटफार्म पर गोबर से बनने वाली प्राकृतिक पेंट का उद्योग भी संचालित है। इस उद्योग को गांव के ही महिला स्वसहायता समूह संचालित कर लाखों रूपए का आय का जरिया बना रही है। जिले में अब तक तीनों केंद्रों से अभी तक 5 हजार 500 लीटर से अधिक गोबर से प्राकृतिक पेंट का उत्पादन हो चुका है और 10 लाख रूपए का बिजनेस भी कर लिए है। रीपा केंद्र से गोबर पेट का उत्पादन कर महिलाओं ने लगभग 11 लाख रुपए की बिक्री करते हुए सफल व्यवसाई के रूप में अपनी पहचान बना ली है। जिले के रूरल इंडस्ट्रियल पार्क मजगांव, रणवीरपुर एवं सिल्हाटी में गोबर पेट का उत्पादन राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान के तहत कार्यरत महिला स्व-सहायता समूह द्वारा किया जा रहा है।
तीनों केंद्रों से अभी तक 5 हजार 500 लीटर से अधिक गोबर से प्राकृतिक पेंट का उत्पादन हो चुका है, जिसमें 4 हजार 880 लीटर की बिक्री हो गई। महिला समूह द्वारा तैयार इस गोबर पेंट की मांग बाजार में लगातार बढ़ रही है। उम्दा किस्म के इस पेंट से आज ना केवल शासकीय कार्यालय वरन लोग अपने निजी आवास को भी तरह-तरह के कलर से पेंट कर रहे हैं। गोबर पेंट बाजार में विक्रय कर महिलाओं ने अभी तक 10 लाख 70 हजार रुपए से अधिक का व्यवसाय कर लिया है जिसमे समहू के सदस्यों को 97 हजार रुपए की आमदनी हुई है। उल्लेखनीय है यह व्यवसाय शुरू हुए मात्र कुछ दिन हुए हैं।
गोबर से सभी रंगों में तैयार हो रही प्राकृतिक पेंट
कलेक्टर जनमेजय महोबे ने बताया कि जिले के तीन ग्राम पंचायतों में वर्तमान में महात्मा गांधी रूरल इंडस्ट्रियल पार्क (रीपा) की स्थापना की गई है। जिसका मुख्य उद्देश्य स्थानीय स्तर पर उपलब्ध सामग्रियों से बाजार में मांग आधारित सामग्रियों का उत्पादन स्थानीय व्यक्ति द्वारा किया जाना है। साथ ही ग्रामीणों को उद्यमी के रूप में आगे बढ़ाते हुए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत कर ग्रामीणों को आर्थिक रूप से सम्पन्न करना है। उन्होंने बताया कि रीपा केंद्रो में गोबर से प्राकृतिक पेंट यूनिट का संचालन करने के लिए ग्रामीण महिलाओं को सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराए गए। अब महिलाएं स्वयं प्राकृतिक पेंट का उत्पादन और पैकेजिंग कर इसकी मार्केटिंग करते हुए आर्थिक लाभ कमा रही है। मांग के आधार पर सभी रंगों में प्राकृतिक पेंट तैयार होगी। जिला स्तर पर उन सभी उद्योगों को आर्थिक रूप से संबल बनाने के लिए हर प्रयास किए जा रहे है।