Manish Kashyap YouTuber: बिहार के YouTuber मनीष कश्यप केस की शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने मनीष के खिलाफ दर्ज NSA को लेकर हैरानी जताई। उन्होंने कहा कि उसके खिलाफ एनएसए? इस आदमी के खिलाफ यह प्रतिशोध क्यों?
चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ ने मनीष कश्यप की राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत हिरासत को चुनौती देने वाली याचिका पर तमिलनाडु और बिहार सरकारों को नोटिस जारी किया। सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को निर्देश दिया है कि मनीष कश्यप को मदुरै सेंट्रल जेल से ट्रांसफर नहीं किया जाए।
पीठ ने यह भी कहा कि अनुच्छेद 32 के तहत मांगी गई राहत के अलावा, याचिकाकर्ता राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत हिरासत के आदेश को चुनौती देना चाहता है। याचिकाकर्ता को याचिका में संशोधन करने की अनुमति है। संशोधित प्रार्थनाओं पर नोटिस जारी करें। पीठ ने कहा कि हम निर्देश देते हैं कि याचिकाकर्ता को केंद्रीय कारागार मदुरै से नहीं ले जाया जाए। मामले की सुनवाई अब 28 अप्रैल को होगी।
सिद्धार्थ दवे ने मनीष कश्यप का रखा पक्ष
सुप्रीम कोर्ट में मनीष कश्यप की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे पेश हुए। उन्होंने कहा कि कश्यप के खिलाफ तमिलनाडु में एनएसए लगाया गया है। गिरफ्तार यूट्यूबर पर तमिलनाडु में छह और बिहार में तीन एफआईआर दर्ज हैं।
सीजेआई चंद्रचूड़ ने हैरानी जताते हुए कहा कि उसके खिलाफ एनएसए? इस आदमी के खिलाफ यह प्रतिशोध क्यों? तमिलनाडु की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि कश्यप ने फर्जी वीडियो बनाकर दावा किया कि तमिलनाडु में बिहार के प्रवासी मजदूरों पर हमले हो रहे हैं।
सिब्बल ने मामलों को बिहार स्थानांतरित करने का विरोध किया। उन्होंने कहा कि मनीष कश्यप के 60 लाख फॉलोअर्स हैं। वह एक राजनेता हैं। उन्होंने चुनाव लड़ा है। वह पत्रकार नहीं हैं।
कपिल सिब्बल ने जवाब दाखिल करने के लिए मांगा समय
शीर्ष अदालत ने 11 अप्रैल को कश्यप की उस याचिका पर केंद्र, तमिलनाडु और बिहार सरकार को नोटिस जारी किया था, जिसमें उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकियों को एक साथ जोड़ने की मांग की गई थी। कश्यप को पहले ही राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत हिरासत में लिया जा चुका है, कपिल सिब्बल ने जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा।
5 अप्रैल से जेल में मनीष कश्यप
मनीष कश्यप वर्तमान में न्यायिक हिरासत में हैं। उन्हें 5 अप्रैल को मदुरै जिला अदालत के आदेश पर 15 दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में भेजा गया है। जिसके बाद उन्हें मदुरै केंद्रीय जेल भेज दिया गया। शीर्ष अदालत में दायर याचिका में याचिकाकर्ता ने अपने खिलाफ तमिलनाडु में दर्ज सभी प्राथमिकियों को बिहार में दर्ज प्राथमिकियों के साथ जोड़ने की मांग की थी।
याचिका में यह भी कहा गया है कि तमिलनाडु में बिहार के प्रवासी मजदूरों के खिलाफ कथित हिंसा का मुद्दा मीडिया में व्यापक रूप से बताया गया और याचिकाकर्ता ने 1 मार्च से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वीडियो बनाकर और ट्विटर पर सामग्री लिखकर इसके खिलाफ आवाज उठाई।
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