Republic Day Parade: प्राचीन काल से बिहार ज्ञान, मोक्ष एवं शांति की भूमि रही है। इस बार गणतंत्र दिवस के मौके पर दिल्ली में बिहार की झांकी आकर्षण का केंद्र रहेगी। झांकी के माध्यम से ज्ञानभूमि नालंदा की प्राचीन विरासत एवं उसके संरक्षण हेतु किए जा रहे प्रयासों को दिखाया जाएगा। इसके साथ ही नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना के माध्यम से बिहार को पुनः शिक्षा के मानचित्र पर वैश्विक रूप में स्थापित करने के प्रयास को दर्शाया जाएगा। भगवान बुद्ध की अलौकिक एवं भव्य मूर्ति के साथ घोड़ा कटोरा झील को ईको टूरिज्म स्थल के रूप में विकसित करने के अनूठे प्रयास को भी दर्शाया गया है।
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झांकी के अगले भाग में बोधि वृक्ष इस बात का संदेश दे रहा है कि इसी धरती से ज्ञान का प्रकाश पूरे विश्व में फैला है। बिहार राज्य की झांकी में प्रदेश के समृद्ध ज्ञान एवं शांति की परंपरा को प्रदर्शित किया गया है। झांकी में शांति का संदेश देते भगवान बुद्ध नजर आएंगे। भगवान बुद्ध की यह अलौकिक मूर्ति राजगीर स्थित घोड़ा कटोरा जलाशय में स्थित है, जहां प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में सैलानी आते हैं। वर्ष 2018 में स्थापित एक ही पत्थर से बनी 70 फीट की भव्य मूर्ति के साथ घोड़ा कटोरा झील का विकास ईको टूरिज्म के तौर पर करना बिहार सरकार का अनूठा प्रयास है।
Buddha..Nalanda.. Bihar 🤍🫰🏻
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— Nalanda Index (@Nalanda_index) January 22, 2025
झांकी में प्राचीन नालंदा महाविहार (विश्वविद्यालय) के भग्नावशेषों को भी दर्शाया गया है, जो इस बात के साक्षी हैं कि चीन, जापान एवं मध्य एशिया के इलाकों से छात्र यहां ज्ञान की प्राप्ति के लिए आते थे। ये भग्नावशेष प्राचीन भारत की ज्ञान परंपरा के प्रतीक हैं। इनका संरक्षण एवं संवर्द्धन भारतीय संस्कृति की धरोहर को संजोने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। बिहार सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों से नालंदा का प्राचीन गौरव पुनर्स्थापित हो रहा है। झांकी में बिहार की प्राचीन एवं समृद्ध विरासत को भित्ति चित्रों के माध्यम से भी उकेरा गया है।
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प्राचीन नालंदा को ज्ञान केंद्र के रूप में पुनर्स्थापित करने की दृष्टि से राजगीर में ही अंतरराष्ट्रीय नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना की गई है। इसका लोकार्पण मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की उपस्थिति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 जून 2024 को किया था। प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की वास्तुकला पर आधारित इस आधुनिक संरचना में सारिपुत्त स्तूप, गोपुरम प्रवेश द्वार तथा पारंपरिक बरामदे की अवधारणा को दर्शाया गया है।