बिहार में इस साल के अंत तक विधानसभा चुनाव प्रस्तावित है। सभी सियासी दल चुनाव की तैयारियों में जुटे हैं। बता दें कि इस बार के विधानसभा चुनाव में एनडीए और इंडिया में इस बार मुकाबला काफी रोचक होने वाला है। इसकी वजह है स्थानीय क्षत्रप। एनडीए में हम की ओर से जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा वहीं इंडिया में मुकेश सहनी चुनावी नतीजों में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। इंडिया गठबंधन का हिस्सा विकासशील इंसान पार्टी यानी वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी इन दिनों पूरे प्रदेश में रैलियां करने में व्यस्त हैं।
बिहार में अभियान चला रहे मुकेश सहनी
मुकेश सहनी इन दिनों प्रदेश में महात्मा गांधी प्रेक्षागृह में सरकार बनाओ, अधिकार पाओ अभियान के तहत कार्यकर्ताओं और जनता से सीधे जुड़ रहे हैं। इसी क्रम में उन्होंने मोतिहारी में जोनल कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि पटना में लोग कहते हैं अगर इंडिया को सरकार बनानी है तो मल्लाह के बेटे को साथ रखना होगा। ऐसे में मुकेश सहनी ने डिप्टी सीएम पद पर दावा ठोक दिया है। जोकि इंडिया गठबंधन खासतौर पर तेजस्वी यादव की मुश्किलें बढ़ाने वाला ऐलान है।
बिहार में तेजस्वी यादव की पार्टी आरजेडी इंडिया गठबंधन की अगुवाई कर रही है। कंाग्रेस के साथ सीटों के समीकरण को लेकर वह पहले ही काफी उलझन में है। इसके साथ ही कांग्रेस ने दो डिप्टी सीएम के पद पर दावा कर रखा है। इस बीच मुकेश सहनी के बयान से तेजस्वी यादव की मुश्किलें जरूर बढ़ गई है। ऐसे में आइये जानते हैं मुकेश सहनी के दावे में कितना दम है?
बीजेपी से की राजनीति की शुरुआत
बिहार में सन ऑफ मल्लाह के नाम से मशहूर मुकेश सहनी ने बहुत ही कम समय में बिहार की राजनीति में अपनी जगह बनाई है। सहनी स्वयं को मल्लाहों का संरक्षक कहते हैं। सहनी ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत बीजेपी से की। वे 2013 में बीजेपी में शामिल हुए और 2014 के लोकसभा और 2015 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के लिए जमकर प्रचार किया। इसके बाद निषाद आरक्षण की मांग को लेकर जब बीजेपी ने भाव देना कम किया तो उन्होंने 2018 में अपनी अलग राह बनाई और निषाद विकास मंच की स्थापना की। इसके बाद 2018 के आखिर में उन्होंने वीआईपी पार्टी का गठन किया।
सहनी ने कई बार बदला पाला
2019 का लोकसभा चुनाव महागठबंधन के साथ लड़ने वाले मुकेश सहनी 2020 के विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी में शामिल हो गए। इसके बाद बीजेपी ने उनको अपने कोटे से 11 सीटें दी। जिसमें से पार्टी ने 4 सीटों पर जीत दर्ज की। हालांकि वे खुद बख्तियारपुर सीट से चुनाव हार गए। हार के बावजूद बीजेपी ने उनको मंत्री बनाया। बीजेपी ने अपने कोटे से उन्हें एमएलसी बनाया। हालांकि इसके बाद आरक्षण पर बात नहीं बन पाने के कारण सहनी ने नीतीश कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद उनकी पार्टी के सभी 4 विधायक बीजेपी में शामिल हो गए। 2024 का लोकसभा चुनाव सहनी ने महागठबंधन के साथ मिलकर लड़ा। उनकी पार्टी सभी तीन सीटों पर चुनाव हार गई।
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कितने मजबूत हैं मुकेश सहनी?
बता दें कि बिहार में निषाद और मल्लाह की कुल 17 जाति और उपजाति है। जिसकी कुल आबादी 6 प्रतिशत है। ये जातियां बिहार के उत्तरी हिस्से में निवास करती है। सीटों के लिहाज से उत्तरी बिहार को सबसे महत्वपूर्ण माना जात है। ऐसे में मल्लाह और निषादों का संरक्षक बताने वाले मुकेश सहनी की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। ऐसे में बीजेपी एक बार फिर मुकेश सहनी पर डोरे डाल रही है। हालांकि सहनी खुद को इंडिया में शामिल कर चुके हैं। विशेषज्ञों की मानें तो उनका मन अभी भी डोल रहा है। एनडीए और बीजेपी पर दबाव बनाने के लिए वे डिप्टी सीएम और 25 सीटों की मांग कर रहे हैं। हालांकि ये तो चुनाव से पहले ही पता चलेगा कि सहनी इंडिया में रहते हैं या एनडीए में शामिल होंगे।
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