अमिताभ ओझा, सौरभ कुमार (पटना)
Bihar Lok Sabha Election Inside Story: बिहार की राजनीति में हमेशा से बाहुबल और धनबल का जोर चला है। यहां बाहुबलियों ने खूब राजनीति की है, लेकिन अब जब कई कारणों से उनकी राजनीतिक एंट्री बंद हो गई तो भी वे अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। इसके लिए उन्होंने अपनी पत्नियों को सामने कर दिया है, यानी इस बार लोकसभा चुनाव 2024 में कई बाहुबली अपनी पत्नियों के सहारे संसद पहुंचने की जुगाड़ में हैं।
बेशक बाहुबली नेताओं ने अपने-अपने दलों से पत्नियों को टिकट दिला दिया है, लेकिन असल बात यह है कि बाहुबली अपनी पत्नियों को सिर्फ नाम के लिए चुनाव लड़ा रहे हैं। सही मायनों में वह खुद चुनाव लड़ रहे हैं, क्योंकि चुनाव का पूरा मैनेजमेंट वह खुद ही संभाले हुए हैं। अब देखना यह है कि क्या यह जुगाड़ काम आएगा? क्या बाहुबली पत्नियों के सहारे संसद पहुंच पाएंगे? आइए जानते हैं कि आखिर किस-किस ने चुनावी रण में ताल ठाकी है?
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बाहुबली आनंद मोहन की पत्नी मैदान में
सबसे पहले बात बाहुबली आनंद मोहन की। यह वही आनंद मोहन हैं, जिन पर वर्ष 1994 में गोपालगंज के DM जी कृष्णैया की हत्या का आरोप लगा। इस आरोप में वह 16 साल जेल में भी रहे और पिछले साल अप्रैल में ही उन्हें रिहा किया गया। अपने आपराधिक रिकॉर्ड और सजा के कारण आनंद मोहन खुद चुनाव नहीं लड़ सकते, इसलिए उन्होंने अपनी पत्नी लवली आनंद को जनता दल यूनाइटेड से टिकट दिलाकर चुनावी मैदान में उतारा है।
लवली आनंद बिहार की शिवहर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रही हैं। बता दें कि लोकसभा चुनाव 2019 में भी वह राजद के टिकट पर चुनाव लड़ी थीं, लेकिन बुरी तरह हार गईं थीं। इस बार लोकसभा चुनाव से पहले वह राजद छोड़कर जदयू में शामिल हो गईं और चुनाव लड़ रही हैं। बता दें कि आनंद मोहन भी इसी सीट से 2 बार सांसद रह चुके हैं। आनंद मोहन वर्ष 1996 और 1998 में शिवहर लोकसभा सीट से सांसद चुने गए थे।
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शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब लड़ रहीं चुनाव
सिवान की पहचान भले ही देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद की वजह से कभी रही हो, पर पिछले काफी समय से सिवान की पहचान शहाबुद्दीन बन गए है। अपराध की दुनिया से सियासत में आए शहाबुद्दीन का अपराध जगत से नाता अब भी नहीं टूटा है। सिवान में स्वर्ण व्यवसायी चंदा बाबू के 3 बेटों की हत्या का आरोप शहाबुद्दीन पर लगा।
2 बेटों को 2004 में तेजाब से नहला कर मार डाला गया था। तीसरे बेटे को भी 2015 में गोलियों से छलनी कर दिया गया था। नीतीश सरकार के सख्ती होने से जेल गए शहाबुद्दीन ने सीखचों में रहते ही अंतिम सांस भी ली, लेकिन उनके जेल में रहते ही पत्नी हिना शहाब ने RJD के टिकट पर सिवान से किस्मत आजमाना शुरू कर दिया था। 3 कोशिशें बेकार चली गईं तो चौथी बार निर्दलीय चुनावी रण में उतरी हैं।
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पूर्णिया सीट पर भी अवधेश मंडल की पत्नी
अब बात बिहार के कुख्यात अपराधी अवधेश मंडल की पत्नी बीमा भारती की करते हैं। बीमा की बात करने से पहले अवधेश मंडल को जान लीजिए। अवधेश मंडल पर हत्या और अपहरण के कई मामले दर्ज हैं। अवधेश की गिनती बिहार के बाहुबलियों और अपराधियों में होती है, लेकिन अवधेश अपनी पत्नी को नेता बनाने में कामयाब रहा।
बीमा भारती 5 बार विधायक रह चुकी हैं। पिछला विधानसभा चुनाव उन्होंने जनता दल यूनाइटेड के टिकट पर लड़कर जीता था, लेकिन विधायक होने के बावजूद भी उन्होंने जदयू से इस्तीफा दे दिया और राजद में शामिल हो गईं। अब बीमा भारती, लालू यादव की पार्टी राजद से लोकसभा चुनाव लड़ रही हैं। उन्हें पार्टी ने पूर्णिया लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा है।
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अशोक महतो ने चुनाव के लिए की शादी
बाहुबली और आपराधिक छवि के नेता अशोक महतो भी इस बार चर्चा में हैं। उन्होंने मुंगेर लोकसभा सीट से अपनी पत्नी अनीता कुमारी को चुनाव मैदान में उतारा है। अनीता यहां से राजद के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं। बता दें कि अशोक महतो 2001 में हुए जेल ब्रेक कांड में 17 वर्षों से जेल में बंद थे। 17 साल की सजा काटने के बाद वह वर्ष 2023 में रिहा हुए।
अशोक खुद चुनाव नहीं लड़ सकता था, इसलिए उसने लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए अनीता देवी से शादी की। बताया जा रहा है कि लालू यादव से आश्वासन मिलने के बाद उसने खरमास में ही बिना किसी मुहूर्त के अनीता देवी से ब्याह रचा लिया, जिसके बाद राजद ने मुंगेर लोकसभा से उसकी पत्नी को टिकट दे दिया। यहां उसका मुकाबला जनता दल यूनाइटेड के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष लल्लन सिंह से है।
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बाहुबली अजय सिंह की पत्नी का टिकट कटा
अब बात बिहार की सिवान लोकसभा सीट की करते हैं। यहां वर्तमान में जनता दल यूनाइटेड से कविता सिंह सांसद हैं। कविता सिंह, अजय सिंह की पत्नी हैं, जिनकी गिनती बाहुबली नेताओं में होती है, लेकिन इस बार नीतीश कुमार ने कविता सिंह का टिकट काटकर अन्य बाहुबली रमेश कुशवाहा की पत्नी विजयलक्ष्मी को जदयू का टिकट दे दिया है।
बता दें कि रमेश कुशवाहा शिवजी दुबे हत्याकांड का मुख्य आरोपी है। रमेश कुशवाहा खुद भी पूर्व में विधायक रह चुके हैं और उनका जुड़ाव CPI ML से भी रहा है। इस बार उन्होंने पत्नी विजयलक्ष्मी को जदयू से टिकट दिलाकर चुनाव मैदान में उतारा है।
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पूर्णिया में खुद ताल ठोक रहे पप्पू यादव
पूर्णिया से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव का लंबा आपराधिक रिकॉर्ड रहा है। 2019 के लोकसभा चुनाव के वक्त पप्पू ने जो हलफनामा दिया था, उसमें उनके खिलाफ 31 आपराधिक मामलों का जिक्र था। उन्होंने यह भी बताया था कि इनमें से 9 मामलों में तो चार्जशीट भी दाखिल हो चुकी है। हत्या के मामले में उन्हें सजा भी मिली, लेकिन बाद में हाईकोर्ट ने उन्हें सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था।
CPM विधायक अजीत सरकार की हत्या के बाद चर्चा में आए पप्पू यादव और बाहुबली आनंद मोहन के बीच खूनी टकराव भी 90 के दशक में खूब हुए। इस बार लोकसभा चुनाव में पप्पू पूर्णिया से कांग्रेस के उम्मीदवार बनने वाले थे। इसके लिए उन्होंने अपनी जन अधिकार पार्टी का कांग्रेस में विलय भी कर दिया, लेकिन लालू प्रसाद ने पूर्णिया सीट RJD के कोटे में रख ली और पूर्णिया में बीमा भारती को लालू ने उम्मीदवार बना दिया।
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वैशाली से विजय कुमार शुक्ला उर्फ मुन्ना शुक्ला
बिहार के लिए विजय कुमार शुक्ला उर्फ मुन्ना शुक्ला का नाम काफी जाना पहचाना है। पहली बार उनका नाम तब चर्चा में आया, जब गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी कृष्णैया की हत्या का आरोप उन पर लगा। मुन्ना शुक्ला के भाई छोटन शुक्ला ठेकेदार थे और ठेकेदारी की रंजिश में ही उनकी हत्या हुई थी। हत्या का आरोप राबड़ी देवी की सरकार में मंत्री रहे बृजबिहारी प्रसाद पर लगा। प्रशासन की मनाही के बावजूद मुन्ना ने अपने भाई की शवयात्रा निकाली।
शवयात्रा में शामिल लोग उत्तेजित थे। उसी दौरान गोपालगंज के तत्कालीन DM की गाड़ी उधर से गुजर रही थी। भीड़ ने गाड़ी पर हमला कर दिया। कृष्णैया की मौत हो गई। मामले की जांच CBI को सौंपी गई। मुन्ना शुक्ला को लंबा समय जेल में बिताना पड़ा। इधर 1998 में बृजबिहारी प्रसाद की हत्या भी हो गई। इसका आरोप मुन्ना शुक्ला, सूरजभान सिंह, राजन तिवारी समेत 8 लोगों पर लगा। जेल से ही मुन्ना शुक्ला ने पहली बार 1999 में निर्दलीय विधानसभा का चुनाव लड़ा, पर जीत नहीं सके।
दोबारा 2002 में जेल से ही चुनाव लड़ कर मुन्ना शुक्ला विधायक बन गए। फिर लोक जनशक्ति पार्टी और जेडीयू के टिकट पर भी विधायक चुने गए। बृजबिहारी प्रसाद की हत्या में निचली अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई, लेकिन ऊपरी अदालत ने सभी अभियुक्तों को बरी कर दिया।
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किन बाहुबलियों को नहीं मिली जगह
बिहार में 80-90 के दशक में आनंद मोहन, पप्पू यादव, शहाबुद्दीन, अनंत सिंह, रामा सिंह, मुन्ना शुक्ला, सूरजभान सिंह, सुनील पांडेय जैसे लोगों का सक्रिय राजनीति में उदय हुआ, लेकिन 2005 में नीतीश कुमार की सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री ने अपराधियों पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस को खुली छूट दे दी।
नतीजा यह हुआ कि कुछ गैंगवार में मारे गए तो कई जेल पहुंच गए। कुछ ने बिहार को अलविदा कहा दिया। अब यही बाहुबली नए अवतार में हैं। कई बाहुबली लोकसभा चुनाव खुद लड़ना चाहते थे या फिर अपनी पत्नी और भाई को चुनाव लड़वाना चाहते थे, लेकिन गठबंधन के कारण पार्टी की मजबूरी के चलते इन्हें जगह नही मिली।
- सूरजभान सिंह का भाई चंदन सिंह जो नवादा के मौजूदा सांसद भी हैं, इस बार उनकी छुट्टी हो गई।
- रामा सिंह राजद से शिवहर लोकसभा क्षेत्र से टिकट चाहते थे, लेकिन नही मिला।
- सुनील पांडेय को आरा से टिकट नहीं मिला।
- अनन्त सिंह की पत्नी को लोकसभा चुनाव टिकट नहीं मिला। वे चुनाव से पहले NDA में शामिल हो गईं।
- राजन तिवारी बेतिया से टिकट की चाह रखते थे, लेकिन टिकट नहीं मिला।
- बाहुबली राजद नेता राजबल्लभ यादव के भाई विनोद यादव नवादा से निर्दलीय मैदान में हैं।