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बिहार

क्या होता है स्ट्रॉन्ग रूम? कैसे की जाती है इसकी सुरक्षा? परिंदा भी नहीं मार सकता पर

बिहार विधानसभा चुनाव में मतदान के बाद EVM मशीनों को स्ट्रॉन्ग रूम में रखा जाता है. यह एक सुरक्षित कमरा होता है जहां EVM को सील कर भारी सुरक्षा में रखा जाता है. स्ट्रॉन्ग रूम में अर्धसैनिक बलों की तीन से चार लेयर की सुरक्षा होती है और हर गतिविधि CCTV कैमरों से मॉनिटर की जाती है. राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि भी वहां मौजूद रहते हैं.

Author Written By: News24 हिंदी Author Published By : Avinash Tiwari Updated: Nov 8, 2025 18:19
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स्ट्रॉन्ग रूम की सुरक्षा कैसे होती है?

बिहार विधानसभा चुनाव में पहले चरण का मतदान हो चुका है. दूसरे चरण का मतदान 11 नवंबर को होगा. वोटों की गिनती 14 नवंबर को होने वाली है. मतदान के बाद EVM मशीन को स्ट्रॉन्ग रूम में रख दिया जाता है. सवाल यह है कि जब वोटिंग के दौरान भारी सुरक्षा के बीच तरह-तरह की गड़बड़ी की शिकायतें आती हैं, मतदान के बाद भी EVM के साथ छेड़छाड़ के आरोप लगाए जाते हैं तो चुनाव आयोग इसकी सुरक्षा कैसे करता है?

क्या होता है स्ट्रॉन्ग रूम?

स्ट्रॉन्ग रूम एक साधारण कमरा होता है, जहां चुनाव के बाद EVM मशीनों को रखा जाता है. हालांकि कमरा साधारण होता है लेकिन इसके लिए कई तरह की शर्तें होती हैं. जैसे इसमें एक ही दरवाजा होना चाहिए, खिड़की नहीं होनी चाहिए और अगर खिड़की है तो वह सील होनी चाहिए. स्ट्रॉन्ग रूम हमेशा सरकारी इमारतों में ही बनाए जाते हैं, वह सरकारी कॉलेज या कोई भी सुरक्षित परिसर हो सकता है. हालांकि जरूरत पड़ने पर पुलिस की इमारत में भी इसे रखा जा सकता है.

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मतदान केंद्र से भारी सुरक्षा के बीच EVM मशीनों को स्ट्रॉन्ग रूम तक लाया जाता है. इस दौरान वीडियोग्राफी की जाती है. तमाम राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि भी वहां मौजूद होते हैं. सुरक्षाकर्मियों, जिला प्रशासन और चुनाव अधिकारियों की निगरानी में EVM मशीनों को स्ट्रॉन्ग रूम में रखा जाता है और फिर रूम को सील कर दिया जाता है.

कैसे होती है स्ट्रॉन्ग रूम की सुरक्षा?

आमतौर पर स्ट्रॉन्ग रूम की सुरक्षा के लिए तीन से चार लेयर बनाई जाती हैं. दो लेयर की सुरक्षा अर्धसैनिक बलों के हाथ में होती है. ये जवान EVM के कमरे के बाहर दो स्तर की सुरक्षा प्रदान करते हैं. इसके बाद बाहर की तरफ जिला प्रशासन और पुलिस की मौजूदगी होती है. इसके अलावा सभी पार्टियों के एजेंट भी वहां मौजूद रहते हैं, जो दिन-रात गड़बड़ी की आशंका में पहरा देते हैं.

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CCTV से की जाती है निगरानी

इतनी सुरक्षा के बाद चप्पे-चप्पे पर CCTV कैमरे लगाए जाते हैं. स्ट्रॉन्ग रूम में CCTV कैमरे होते हैं, जिसका सीधा प्रसारण किया जाता है और सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि स्ट्रॉन्ग रूम के आसपास केंद्र बनाकर निगरानी करते हैं.

कौन कर सकता है स्ट्रॉन्ग रूम में एंट्री?

स्ट्रॉन्ग रूम को मतगणना के दिन तक खोलने की जरूरत नहीं पड़ती है. अगर किसी दल की तरफ से शिकायत आती है तो लिखित शिकायत और सबूत देने के बाद सभी दलों के प्रतिनिधि, जिलाधिकारी और चुनाव अधिकारी की मौजूदगी में इसे खोलकर जांच की जाती है और फिर उसी तरह सभी की मौजूदगी में इसे दोबारा लॉक कर दिया जाता है. इसके अलावा किसी को भी स्ट्रॉन्ग रूम में एंट्री नहीं मिलती है.

First published on: Nov 08, 2025 06:19 PM

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