Ramcharitmanas: बिहार (Bihar) के शिक्षा मंत्री (Education Minister) की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। रामचरितमानस (Ramcharitmanas) पर उनके दिए गए बयान पर अब मामला मुजफ्फरपुर (Muzzafarpur) और बेगूसराय (Begusarai) न्यायालय में पहुंच चुका हैं। इस मामले में मुजफ्फरपुर के अधिवक्ता सुधीर ओझा ने शिक्षामंत्री के खिलाफ परिवाद दर्ज कराया है। वहीं बेगूसराय में सांसद प्रतिनिधि अमरेंद्र कुमार अमर ने मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के न्यायालय में शिक्षा मंत्री के खिलाफ मामला दर्ज कराया है।
कब क्या बोले शिक्षामंत्री
दरअसल गुरूवार को नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी (Nalanda University) में आयोजित दीक्षांश समारोह में शिक्षामंत्री चंद्रशेखर (ChandraShekhar) ने बच्चों को बैकवर्ड और फॉरवर्ड का जमकर पाठ पढाया था। उन्होंने कहा था कि आपको मालूम है कि मनुस्मृति (Manu Smriti) को ज्ञान के प्रतीक बाबा साहब भीमराव अंबेडकर (Bhimrao Ambedkar) ने क्यों जलाया? गूगल पर आप देखेंगे तो पाएंगे कि मनुस्मृति में वंचितों और वंचितों के साथ-साथ नारियों को शिक्षा से अलग रखने की बात कही गई हैं। शिक्षा का अधिकार, संपत्ति का अधिकार न नारियों को था, न वंचितों को और न शूद्रों को था। उसके बाद पंद्रहवीं-सोलहवीं सदी में रामचरितमानस लिखी गई जिसमें तुलसीदास जी (Tulsi Das Ji) ने लिखा है कि पूजिये न पूजिये विप्र शील गुण हीना, शुद्र ना गुण गन ज्ञान प्रवीना अगर ये विचारधारा चलेगी तो भारत के ताकतवर बनने का सपना कभी पूरा नहीं होगा।
सांसद प्रतिनिधि ने दर्ज कराया केस
बेगूसराय सांसद प्रतिनिधि अमरेंद्र कुमार अमर का कहना है कि बेगूसराय में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के न्यायालय में शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के विरुद्ध धारा 295, एवं 153ए के तहत मामला दर्ज करवाया गया है। उनका कहना है कि रामायण लाखों-करोड़ों हिंदुओं के दिलों में बसने वाला ग्रंथ हैं। शिक्षामंत्री चंद्रशेखर ने रामचरित मानस को नफरत फैलाने वाला ग्रंथ बताने के साथ-साथ आपत्तिजनक टिप्पणी भी की थी जो अनुचित है। 16 जनवरी को इसकी सुनवाई की जाएगी।
सोची समझी साजिश से दिया बयान
मुजफ्फरपुर न्यायालय के अधिवक्ता सुधीर ओझा ने बताया कि शिक्षामंत्री ने धार्मिक ग्रंथ को लेकर बहुत ही आपत्तिजनक टिप्पणी की है। साथ ही उन्होंने कुछ जातिसूचक शब्दों का भी इस्तेमाल किया। उनके इस बयान से धार्मिक उन्माद फैल सकता है। अधिवक्ता ने कहा कि इस देश के करोड़ों हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के साथ धार्मिक उन्माद फैलाने के लिए ये विवादित बयान एक सोची समझी राजनीतिक साजिश के कारण दिया गया है। इससे देश का माहौल खराब हो सकता हैं। फिलहाल मुजफ्फरपुर कोर्ट में दर्ज केस की अगली सुनवाई 25 जनवरी को होगी।