Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू होते ही भारतीय जनता पार्टी ने अपनी रणनीति को धार देना शुरू कर दिया है। पार्टी ने पटना में एक हाईटेक चुनावी वॉर रूम की स्थापना की है, जहां से पूरे राज्य का चुनाव अभियान संचालित किया जा रहा है।
इस वॉर रूम की कमान बीजेपी के रणनीतिकार रोहन गुप्ता को सौंपी गई है, जो इससे पहले हरियाणा, झारखंड और दिल्ली विधानसभा चुनावों में पार्टी के वॉर रूम का सफल संचालन कर चुके हैं।
कॉल सेंटर सक्रिय, बूथ स्तर पर जुट रहा डाटा
सूत्रों के अनुसार, वॉर रूम में करीब 135 से 150 वॉलंटियर्स को तैनात किया गया है। ये सभी कॉल सेंटर के जरिए बूथ और मंडल स्तर के कार्यकर्ताओं से संपर्क साध रहे हैं। उनका पहला काम है। नए वोटरों की पहचान करना और उन्हें मतदाता सूची में शामिल करवाना। जहां भी पार्टी की रैलियां या जनसभाएं प्रस्तावित हैं, वहां के कार्यकर्ताओं से भी संपर्क किया जा रहा है ताकि स्थानीय स्तर पर भीड़ जुटाने और संगठनात्मक तैयारियों को पुख्ता किया जा सके।
उम्मीदवार तय करने में मदद करेगा फीडबैक सिस्टम
वॉर रूम से सिर्फ डेटा इकट्ठा नहीं हो रहा, बल्कि एनडीए के संभावित उम्मीदवारों को लेकर भी फीडबैक लिया जा रहा है— बूथ से लेकर जिला स्तर तक।यही फीडबैक पार्टी की टिकट वितरण और क्षेत्रीय रणनीति तय करने में अहम भूमिका निभाएगा। एक महीने बाद, वॉर रूम का फोकस सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों से संपर्क और महिला वोटर्स के बीच नेटवर्क मजबूत करने पर शिफ्ट किया जाएगा।
वरिष्ठ नेतृत्व की जमीनी निगरानी
बीजेपी के प्रदेश संगठन महामंत्री भीखूभाई दलसानिया खुद विधानसभा क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं और फीडबैक ले रहे हैं। हालांकि हाल ही में अहमदाबाद विमान हादसे के चलते उनके दौरे कुछ दिनों के लिए टल गए हैं, लेकिन सूत्रों के मुताबिक एक हफ्ते में वह फिर से फील्ड विजिट शुरू करेंगे।
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एनडीए में सीटों के बंटवारे पर भी चर्चा शुरू
सूत्रों की मानें तो एनडीए घटक दलों के बीच सीटों की अदला-बदली पर बातचीत चल रही है। बीजेपी, उन सीटों की मांग कर सकती है जहां सहयोगी दल लगातार तीन चुनावों से हार रहे हैं। बदले में पार्टी उन्हें ऐसी सीटें दे सकती है जहां उनकी जीत की संभावना बेहतर हो।
बिहार में बीजेपी ने साफ कर दिया है कि वह इस बार डाटा, तकनीक और जमीनी कार्यकर्ताओं की ताकत से चुनावी मैदान में उतर रही है। वॉर रूम, कॉल सेंटर, फीडबैक मैकेनिज्म और बूथ स्तर पर सक्रियता— ये सभी मिलकर एक व्यवस्थित और वैज्ञानिक चुनाव अभियान की नींव तैयार कर रहे हैं।
आगामी हफ्तों में इन गतिविधियों में और तेजी आने की संभावना है, जिसका असर न केवल उम्मीदवार चयन, बल्कि चुनावी नैरेटिव पर भी दिखेगा।
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