सौरभ कुमार, पटना
Bihar Caste Survey Key Points: बिहार में जातिगत गणना हो गई है। मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने सोमवार को इस गणना की रिपोर्ट जारी की। वहीं जातिगत गणना करने वाला बिहार देश का पहला राज्य बन गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदेश में हिंदू आबादी सर्वाधिक है। सवर्ण काफी कम हो गए हैं। वहीं 27 जातियां ऐसी हैं, जिनकी आबादी एक हजार से भी कम हैं। पढ़ें बिहार में जातिगत गणना से जुड़ी अहम बातें…
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- बिहार आजाद भारत का पहला राज्य बना, जहां जाति आधारित गणना हुई और उसकी रिपोर्ट जारी की गई।
- जाति आधारित गणना की दूसरी रिपोर्ट, यानि सामाजिक और आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट भी जल्द जारी की जाएगी।
- 92 साल पहले 1931 में जो जातीय गणना हुई थी, उसमें 51 जातियों की गणना की गई थी, लेकिन इस बार बिहार में जो जाति आधारित गणना हुई, उसमें 215 जातियों की गणना की गई है।
- 11 साल में बिहार की आबादी 2 करोड़ 66 लाख बढ़ी है। 2011 में बिहार की आबादी 10 करोड़ 41 लाख थी, जबकि 2022 में बिहार की कुल आबादी 13 करोड़ 7 लाख है।
- आरक्षण का कोटा…पिछड़े वर्ग की आबादी 27 फीसदी है और उसे आरक्षण 12 फीसदी मिल रहा है। अति पिछड़े वर्ग की आबादी 36 फीसदी और आरक्षण 18 फीसदी दिया जा रहा है। अनुसूचित जाति की आबादी 19 फीसदी है और आरक्षण 16 फीसदी दिया जा रहा है। अनुसूचित जनजाति की आबादी सिर्फ एक फीसदी है और उन्हें आरक्षण भी एक फीसदी मिला रहा है। 15 फीसदी अनारक्षित जातियां हैं, जिन्हें 10 फीसदी आरक्षण मिल रहा है।
- बिहार में 215 में से 27 ऐसी जातियां है, जिनकी आबादी एक हजार से भी कम है।
- 1931 और 2022 की तुलना में अति पिछड़ा वर्ग की आबादी में 3 फीसदी, यादव की आबादी में 4 फीसदी, अनुसूचित जाति की आबादी में 5 फीसदी और मुसलमानों की आबादी ने 5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
- 1931 और 2022 की तुलना में सर्वणों की आबादी 13 फीसदी से घटकर 10.56 फीसदी हो गई है, जिसमें ब्राह्मणों की आबादी पहले 4.7 फीसदी थी और अब 3.65 फीसदी है। भूमिहार की पहले आबादी थी 2.9 फीसदी और अब है 2.6 फीसदी, राजपूत की आबादी पहले थी 4.2 फीसदी और अब 3.45 फीसदी है। कायस्थ की आबादी पहले 1.2 फीसदी थी और अब केवल 0.6 फीसदी है।
- 9. 215 में से बिहार में 190 ऐसी जातियां है जिसकी आबादी 1 फीसदी से भी कम है।
- जातियों के वर्गीकरण में अति पिछड़ा वर्ग पहले से ज्यादा ताकतवर बनकर उभरा है। इसकी सबसे अधिक 36 फीसदी हिस्सेदारी सामने आई।
- INDIA गठबंधन से देश मे जाति आधारित गणना कराने की मांग को बल मिलेगा। केंद्र सरकार पर दवाब भी बनेगा।
- अब बिहार में फिर से उठेगी, जिसकी जितनी भागीदारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी की मांग।
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