Yusuf Dikec Turkish Shooter: ओलंपिक 2024 की शुरुआत के बाद फ्रांस की राजधानी पेरिस में एक से बढ़कर एक धुरंधर खिलाड़ियों का जमावड़ा लगा है। मेडल जीतने की उम्मीद से ओलंपिक के मैदान में उतरे खिलाड़ी कोई भी रिस्क नहीं लेना चाहते हैं। इसके लिए खिलाड़ी महंगे उपकरणों की मदद लेते हैं। मगर इसी बीच तुर्की के युसुफ डिकेच बेफिक्र अंदाज में एंट्री लेते हैं, आंखों पर नॉर्मल चश्मा और एक हाथ जेब में डालकर ‘सुपरकूल स्टाइल’ में पिस्टल उठाते हैं और निशाना लगाकर सिल्वर मेडल अपने नाम कर लेते हैं। युसुफ का ये अंदाज लोगों को काफी पसंद आया। अब सवाल ये है कि क्या 51 वर्षीय युसुफ आगे ओलंपिक में दिखेंगे या नहीं? इसका जवाब खुद उन्होंने अपने एक इंटरव्यू में दिया है।
क्या था युसुफ डिकेच का जवाब?
तुर्की की सेना में रह चुके युसुफ 2008 से ओलंपिक खेलों में हिस्सा ले रहे हैं लेकिन इस बार ओलंपिक में उन्होंने पहली बार मेडल जीता है। ऐसे में जब युसुफ से पूछा गया कि क्या अब वो ओलंपिक से संन्यास लेंगे तो उन्होंने दो टूक शब्दों में जवाब दिया कि अगर उन्होंने गोल्ड मेडल जीता होता तो जरूर संन्यास ले लेते। मगर ऐसा नहीं हुआ इसलिए वो आगे भी ओलंपिक खेलते रहेंगे।
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सुपरकूल पोजीशन पर बोले युसुफ
ओलंपिक में अपनी सुपरकूल पोजीशन पर बात करते हुए युसुफ ने कहा कि वो एक ऐसी पोजीशन है, जिसमें मैं सबसे ज्यादा सहज महसूस करता हूं। मेरा शरीर स्थायी रहता है। ओलंपिक के दौरान भी मैं बाहर से काफी शांत दिख रहा था लेकिन मेरे अंदर तूफान उठ रहा था। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेरी ये पोजीशन इतनी मशहूर हो जाएगी।
ओलंपिक में 23 साल की जर्नी
युसुफ डिकेच की ओलंपिक में 23 साल की जर्नी पर बात करें तो उनका शूटिंग का ये अनोखा अंदाज पिछले दो दशकों की मेहनत का ही परिणाम था। युसुफ ने 2001 में शुटिंग के खेल में कदम रखा था। वो 2008, 2012, 2016 और 2020 के ओलंपिक में किस्मत आजमा चुके हैं। मगर उन्हें निराशा ही हाथ लगी। युसुफ का कहना है कि मैं पिछले कई सालों से हर रोज 4-5 घंटे तक शूटिंग प्रैक्टिस करता हूं। अगर भगवान ने चाहा तो 2028 में मैं गोल्ड मेडल जरूर जीतूंगा।
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इसी इवेंट में मनु ने जीता था ब्रॉन्ज
बता दें कि पेरिस ओलंपिक के 10 मीटर मिक्स्ड टीम इवेंट में तुर्की के युसुफ डिकेच और शेववल इलैदा तरहान की जोड़ी ने सिल्वर पदक जीता था। इसी इवेंट में भारत को भी कांस्य पदक मिला था। मनु भाकर और सरबजोत सिंह की जोड़ी ने ब्रॉन्ज मेडल जीत कर देश का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया था।
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