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ईंट भट्टे में किया काम, स्‍कूल के ल‍िए चले 6 KM पैदल, अब पेर‍िस में त‍िरंगे की शान बढ़ाएगा ये ‘पान स‍िंह तोमर’

भारत के स्टार स्टीपलचेज धावक अविनाश साबले पेरिस ओलंपिक में मेडल के बड़े दावेदार हैं। ओलंपिक के आगाज से पहले आज हम आपको अविनाश साबले की संघर्ष की पूरी कहानी बताएंगे।

Edited By : News24 हिंदी | Updated: Jul 25, 2024 19:30
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Asian Games 2023: Avinash Sable wins gold medal in Men's 3000 meters Steeplechase
अविनाश साबले

Who is Avinash Sable: खेल के महाकुंभ यानि पेरिस ओलंपिक 2025 के आगाज होने में अब सिर्फ 1 दिन का समय रह गया है। देशवासियों को पूरी उम्मीद है कि पेरिस ओलंपिक में भारत का प्रदर्शन पिछले सभी ओलंपिक से बेहतर होगा। पेरिस ओलंपिक में सबकी नजरें भारत के स्टार स्टीपलचेज धावक अविनाश साबले पर रहेगी। पिछले कुछ समय में साबले ने कमाल का प्रदर्शन किया है। वह पेरिस ओलंपिक में मेडल के बड़े दावेदार माने जा रहे हैं। अविनाश ने स्टीपलचेज में कामयाबी हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत की है। ऐसे में आज हम आपको अविनाश साबले की पूरी कहानी बताएंगे।

कौन हैं अविनाश साबले?

भारत के स्टार स्टीपलचेज धावक अविनाश साबले का जन्म महाराष्ट्र के बीड जिले के मांडवा गांव में 13 सितंबर 1994 को हुआ। अविनाश का जन्म बेहद सामान्य परिवार में हुआ और उनके माता-पिता किसान थे। अविनाश बचपन से ही काफी मेहनती थे। बचपन में जब अविनाश को स्कूल जाने के लिए हर दिन 6 किलोमीटर पैदल जाना पड़ता था। दरअसल ,उनके गांव में परिवहन की कोई सुविधा नहीं थी इसलिए अविनाश को पैदल चलकर स्कूल जाते थे।

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अविनाश ने बचपन में यह नहीं सोचा था कि एक दिन वह खेल में अपना करियर बनाएंगे। उन्होंने एक समय पर अपने परिवार के भरण पोषण के लिए ईंट के भट्टे में काम किया। अविनाश किसान परिवार से आते हैं ऐसे में उन्होंने खेतों में भी कड़ी मेहनत की है। हालांकि 12वीं की परीक्षा पास करने के बाद अविनाश भारतीय सेना में शामिल हो गए। वह भारतीय सेना में 5 महार रेजिमेंट का हिस्सा बने। सेना में नौकरी के दौरान उन्होंने राजस्थान के तपते रेगिस्तान से लेकर सियाचीन की जमा देने वाली ग्लेशियर में ड्यूटी की।

2015 से चमकी अविनाश की किस्मत

अविनाश साबले साल 2015 से सेना के एथलेटिक्स कार्यक्रम में शामिल होने लगे। अविनाश को जल्द ही क्रॉस कंट्री प्रतियोगिता के लिए चुना गया था और उनकी प्रतिभा जल्द ही सबके सामने दिखी। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और लगातार कड़ी मेहनत कर कामयाबी हासिल करते चले गए।

टखने की चोट के वजह से अविनाश साबले एशियन गेम्स 2018 से बाहर हो गए थे। हालांकि उन्होंने हार नहीं मानी और एशियन गेम्स 2023 में इतिहास रचते हुए 3 हजार मीटर स्टीपलचेज को 8.19.53 समय में पूरा कर गोल्ड मेडल अपने नाम किया। अविनाश ने हाल ही में डायमंड लीग में 3 हजार मीटर स्टीपलचेज को 8.09.91 समय में पूरा किया। उन्होंने लीग में अपने पुराने नेशनल रिकॉर्ड 8.11.20 को तोड़ा था। अविनाश का सपना पेरिस ओलंपिक में देश के लिए मेडल जीतना है। देशवासियों को भी अविनाश से पूरी उम्मीदे हैं। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि अविनाश अपने सपने को ओलंपिक 2024 में पूरा कर पाते हैं या नहीं।

HISTORY

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News24 हिंदी

First published on: Jul 25, 2024 06:24 PM

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