Gold Medalist Sumit Antil Profile: 3 बहनों का इकलौता भाई, 7 साल की उम्र में पिता की मौत देखी। 16 साल की उम्र में हादसे में अपना पैर गंवा दिया और पहलवान बनने का सपना चकनाचूर हो गया, लेकिन बहादुर बेटे ने हिम्मत नहीं हारी। मां ने सपनों को उड़ान दी और पेरिस पैरालंपिक 2024 में इतिहास रचा, अपना ही रिकॉर्ड तोड़ते हुए नया रिकॉर्ड बनाया। जी हां, बात हो रही है भारतीय जेवलिन थ्रोअर सुमित अंतिल की, जिन्होंने बीती रात पेरिस पैरालंपिक में गोल्ड मेडल जीता।
उन्होंने टोक्यो पैरालंपिक 2020 में 68.55 मीटर दूर जेवलिन फेंका था, जो पैरालंपिक में रिकॉर्ड था। सुमित ने पेरिस पैरालंपिक में अपना ही रिकॉर्ड तोड़ते हुए 70.59 मीटर दूर जेवलिन फेंका और अपनी ही रिकॉर्ड तोड़ा। ऐसा करके उन्होंने पैरालंपिक में दूसरा सबसे लंबी दूरी तक जेवलिन थ्रो करने का रिकॉर्ड बनाया। आइए जानते हैं कि सुमित अंतिल कौन हैं? कैसे उन्होंने अपना पैर गंवाया और कैसे संघर्ष करते हुए सफलता के शिखर पर पहुंचे?
BREAKING: GOLD medal for India 🔥🔥🔥
---विज्ञापन---Sumit Antil wins Gold medal in Javelin Throw F64 event with New PR of 70.59m.
2nd consecutive Paralympics Gold for Sumit. #Paralympics pic.twitter.com/rbqIRJ4EFj
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7 साल की उम्र में पिता की मौत
सुमित अंतिल 7 जून 1988 को हरियाणा के सोनीपत जिले के खेवरा गांव में जन्मे। उनके पिता राम कुमार अंतिल इंडियन एयरफोर्स में थे, लेकिन सुमित ने 7 साल की उम्र में उन्हें खो दिया। लंबी बीमारी से जूझने के बाद उनकी मौत हो गई थी। सुमित 3 बहनों के इकलौते भाई थे, लेकिन पिता की मौत के बाद मां के कंधों पर परिवार की जिम्मेदारी आ गई। उन्होंने दिन रात कड़ी मेहनत करके सुमित और उनकी 3 बहनों को पाला।
16 की उम्र में हादसे में खोया पैरा
सुमित क्योंकि कद और काठी में काफी अच्छे थे, इसलिए वे पहलवान बनना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने अपने पिता की तरह इंडियन आर्मी जॉइन करने का फैसला लिया, लेकिन एक हादसे ने उनका सपना तोड़ दिया। 16 साल के सुमित जब 12वीं में पढ़ते थे तो एक दिन उनकी बाइक को सीमेंट के कट्टों से लदी ट्रॉली ने टक्कर मार दी। हादसे में सुमित ने अपनी पैर और आधी टांग खो दी। इस हादसे ने उनका सपना चकनाचूर कर दिया।
3rd Gold for India at the Paris Paralympics!
Sumit Antil Wins Gold in Men’s Javelin Throw F64, Breaks Paralympics Record!
Defending champion won his 2nd consecutive Paralympics gold with best throw of 70.59m. #Paris2024 #Paralympics2024 pic.twitter.com/j3v2wmVnW1
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मां ने हिम्मत दी, कृत्रिम पैर लगवाया
सुमित की मां ने बेटे के सपनों को टूटते देखा, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। बेटे को भी हारने नहीं दिया, बल्कि कृत्रिम पैर लगवाकर उसे खेलों में करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित किया। 2015 में हादसे के बाद 2 साल में रिकवर करके सुमित ने कृत्रिम पैर लगवाया और खेलों की दुनिया में आए। उनकी मुलाकात साल 2017 में पैरा एथलीट राजकुमार से हुई, जिन्होंने सुमित को जेवलिन थ्रो में करियर बनाने की सलाह दी। सुमित ने नवल सिंह को अपना कोच बनाया और दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में प्रैक्टिस शुरू की।
वर्ल्ड चैम्पियनशिप में मेडल जीत की शुरुआत
सुमित ने अपनी हिम्मत, मेहनत और जज्बे से कमियों पर काबू पाया और साल 2019 में इटली में वर्ल्ड पैरा एथलीट चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीता। यहां से उनके पैरालंपिक बनने की शुरुआत हुई। साल 2019 में ही दुबई में वर्ल्ड पैरा एथलीट चैंपियनशिप में भी सिल्वर मेडल जीता। इसके बाद टोक्यो पैरालंपिक में 68.55 मीटर दूर जेवलिन थ्रो करके वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया और गोल्ड मेडल जीता। साल 2022 में 73.29 मीटर दूर भाला फेंकर फिर से नया वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया। अब अब पेरिस पैरालंपिक 2024 में 70.59 मीटर दूर भाला फेंककर अपना टोक्यो पैरालंपिक वाला रिकॉर्ड तोड़कर गोल्ड मेडल जीता। इस तरह सुमित अंतिल ने सफलता की सीढ़ियां चढ़ीं।